पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिहार को खुले से शौच मुक्त करने के लिए शिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी सौंपने के लिए चलाई गई ‘लोटा’ योजना का आरजेडी प्रमुख ने विरोध किया है। बता दें कि सीएम ने बिहार को खुले से शौच मुक्त करने के लिए शिक्षकों के ये जिम्मेदारी सौंपी है कि वो खुले में शौच करने वालों को पकड़े और उनके खिलाफ कार्रवाई करे। सरकार के इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताते हुए आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि शिक्षकों का काम पढ़ाना है न कि शौच करने वालों कि निगरानी करना। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि क्या सरकार अपने इस फैसले से शिक्षकों को मारना चाहती है।
लालू प्रसाद ने कहा कि शिक्षकों द्वारा खुलें में शौच करने वालों पर नजर रखने का सरकार का फैसला अन्यायपुर्ण है। ये फैसला शिक्षा विभाग और शिक्षक दोनों के लिए शर्मनाक है। वहीं दूसरी तरफ इस मामले को लेकर जन अधिकार पार्टी के संरक्षक और माधेपुर के सांसद पप्पू यादव ने कहा कि शिक्षकों को पढ़ाने के अलावा किसा भी दूसरे काम में नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ शिक्षकों को खुले में शौच करने वालों की निगरानी के काम में ही नहीं, बल्कि जनगणना के काम में भी नहीं लगाया जाना चाहिए। आपको बता दें कि औरंगाबाद के देव और मुजफ्फरपुर के कुढऩी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने हाल ही में एक आदेश में शिक्षकों को खुले में शौच की निगरानी का काम सौंपा है।
आदेश में कहा गया है कि शिक्षक अपने शैक्षणिक दायित्वों के अलावा सुबह छह से सात और शाम में पांच से छह बजे के बीच खुले में शौच को जाने वाले की निगरानी करेंगे और उनकी फोटो खींचेंगे।प्रखंड अधिकारियों के इस आदेश पर शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने भी अपनी मुहर लगा दी है। मंत्री ने कहा कि स्वच्छता को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चल रहा है। शिक्षकों को स्वच्छता में भी सरकार का सहयोग करना चाहिए, परन्तु इससे बच्चों की पढ़ाई नहीं बाधित होनी चाहिए। अधिकारी के आदेश और मंत्री की उस पर मुहर के साथ ही मामले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है।