पटना। जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्ट्रीय संरक्षक व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भ्रष्ट अधिकारियों से खासा लगाव रखने का आरोप लगाया और कहा कि बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां सरकारी नौकरियों की बहाली के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षाओं में पिछले 27 सालों से खुलआम भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसमें सत्ता में बैठे राजनेता, उनके परिजन, विश्वस्त सहयोगी व उनके चाटुकार भ्रष्ट अधिकारी की संलिप्तता रही है।
पटना में एक संवाददाता सम्मेलन कर पप्पू यादव ने कहा कि नियुक्तियों की सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में जम कर लूट खसोट हुआ है। चाहे वह 1994 का दारोगा बहाली हो, या फिर आज 2017 में बीएसएससी में प्रश्नपत्रों की खुलेआम निलामी। लालू-नीतीश की ये समानता भी अजीब संयोग है कि दोनों ने एक से बढ़ कर एक लुटेरों को उच्च पदों पर बिठाया।
उन्होंने कहा कि ये सर्व विदित है कि पश्चिम चंपारण के मैनाटाड़ में सीओ के पद पर रहते हुए परमेश्वर राम ने जमकर भ्रष्टाचार किया, जिन्हें बाद में नीतीश कुमार ने बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग का सचिव बनाया। हैरानी की बात तो ये है कि बिहार पुलिस के रिकॉर्ड में परमेश्वर राम 17 साल से फरार चल रहे हैं। जदयू के तारापुर से विधायक मेवालाल चौधरी की चर्चा करते हुए कहा कि राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा में धांधली करने वाले मेवालाल चौधरी को नीतीश कुमार ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार करने का दोबारा मौका दिया। वहां भी उन्होंने नियुक्ति में घपलेबाजी की, जिसका मामला अभी निगरानी में चल रहा है। मगर इस मामले में मेवालाल का बाल भी बांका नहीं हुआ।
सांसद ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय में प्राचार्य के पद पर रह कर कुर्सी तक बेच देने वाले लालकेश्वर को नीतीश कुमार ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का अध्यक्ष बनाया और उनकी पत्नी को हिलसा विधान सभा क्षेत्र से विधायक, जिसका परिणाम मेधा घोटाले के रूप में आया। इन उदाहरण से साफ पता चलता है कि नीतीश कुमार, लालू प्रसाद के पद चिन्हों पर ही चल रहे हैं। लालू प्रसाद के समय में भी घोटाले चरम पर थे। 1996 में पहली बार बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के तौर पर लक्ष्मी राय जेल गए थे । उन्होंने तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री वृजबिहारी प्रसाद के साथ मिलकर बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले की संयुक्त परीक्षा में एक बड़ा घोटाला किया था। उस समय लक्ष्मी राय आरटीआई मुजफ्फरपुर के प्राचार्य थे। इसी तरह लालू यादव ने बीएड घोटाले के सबसे बड़े साजिशकर्ता जयप्रकाश यादव को लगातार प्रोमोट किया और उनके परिजनों को भी तोहफे में विधायकी से मंत्री पद तक दिया।
संवाददाता सम्मेलन में यादव ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को खास्ताहाल बताते हुए कहा कि राज्य में प्राथमिक और उच्च शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है। 6.5 प्रतिशत स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है। 20 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था नहीं है। 56 प्रतिशत स्कूल में शौचालय का अभाव है। 88 फीसदी स्कूलो में लड़कियों के शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इसलिए केवल 63 प्रतिशत छात्र – छात्राएं ही प्राथमिक स्कूलों से माध्यमिक स्कूलों में जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा पर होने वाले व्यय में भी काफी गैर बराबरी है। एक बच्चे की शिक्षा पर सिक्कम में 59791 रूपए, मिजोरम में 35698 रूपए और गोवा में 38751 रूपए 2015-16 था, मगर बिहार में 8526 रूपए। जो दिखाता है कि पिछले चार सालों में शिक्षा के बजट में हिस्सेदारी कमी है।