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History Special: संकट के बीच क्यों लाल बहादुर शास्त्री ने अपने ही बच्चों को रखा था भूखा

History Special: संकट के बीच क्यों लाल बहादुर शास्त्री ने अपने ही बच्चों को रखा था भूखा

लखनऊ: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री देश के महान नेताओं में से एक रहे हैं। 1964 में जब पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई तो प्रधानमंत्री पद किसे दिया जाए, यह एक बड़ा सवाल था। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री का नाम सामने आया, 9 जून 1964 को उन्होंने देश के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

खाद्य संकट से देश को उबारा

मई 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई और जून में लाल बहादुर शास्त्री को देश की कमान सौंप दी गई। 1965 का दौर आते-आते देश कई संकटों से जूझने लगा, जिनमें खाद्य संकट सबसे बड़ी समस्या थी। इस दौरान कई राज्यों में भयंकर सूखा भी देखने को मिला था। इससे निपटने के लिए शास्त्री जी ने एक अनोखा रास्ता अपनाया।

अपने ही बच्चों को भूखे रखकर देश से अपील

प्रधानमंत्री होते हुए भी लाल बहादुर शास्त्री ने अपने ही बच्चों को अनाज से दूर रखने का निर्णय लिया। उन्होंने फैसला किया कि एक दिन शाम को बिना खाना खाए सब लोग रहेंगे। ऐसा करने के पीछे शास्त्री जी देशवासियों से आह्वान करना चाहते थे। उन्होंने सभी से अपील की कि हफ्ते में एक दिन भोजन ना करके देशवासियों को संकट से निकाला जाए।

इसके साथ ही लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का प्रसिद्ध नारा दिया। जिसमें देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए जवानों का मनोबल बढ़ाया गया और किसानों से भरपूर अनाज पैदा करने की भी अपील की गई। जल्द ही देश में इस बुरे दौर को हरा दिया और लाल बहादुर शास्त्री का कुशल नेतृत्व काम आ गया।

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