- भारत खबर || रिसर्च डेस्क
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री Lal Bahadur Shastri की रहस्यमई मौत के बाद आज तक इस बात का पता नहीं चल सका कि आखिर ताशकंद समझौते के चंद घंटों के अंदर शास्त्री जी की मौत कैसे हो गई?
2 अक्टूबर को भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ-साथ जन नेता पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के वी जयंती मनाई जाती है। आपको बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री जी की लोकप्रियता और इमानदारी कितनी प्रसिद्ध थी कि लोग उनकी मिसालें दिया करते थे।
Lal Bahadur Shastri ने रेल मंत्री के पद से दिया स्तीफा
एक बार जब लाल बहादुर शास्त्री जी रेल मंत्री थे तो एक बड़े रेल हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री थे जिनके पास ना तो कोई बंगला था, ना कोई गाड़ी थी और ना ही कोई बैंक बैलेंस। शास्त्री की 10 जनवरी 1966 में ताशकंद समझौते के अगले दिन असामयिक मृत्यु हो गई।
1965 में भारत पाकिस्तान के बीच जमकर युद्ध हुआ जिसके बाद पूरे देश में अजीब सा माहौल बनने लगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सारे देशों ने शांति के लिए अपील की। 6 महीने तक चले इस युद्ध के बाद जनवरी 1966 में भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेता उस वक्त के रूसी क्षेत्र ताशकंद में शांति समझौता के लिए गए।
24 घंटे के भीतर ही Lal Bahadur Shastri की हो गई मौत
पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान और भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने शांति समझौते पर सहमति जताते हुए 10 जनवरी को समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया। 24 घंटे के भीतर ही 11 जनवरी को आधिकारिक तौर पर यह घोषणा कर दी गई कि दिल का दौरा पड़ने से भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का निधन हो गया।
लाल बहादुर शास्त्री जी भारत पाकिस्तान समझौते को लेकर दबाव में जी रहे थे इसके अलावा देश में उनकी आलोचना इसलिए भी हो रही थी क्योंकि उन्होंने हाजी पीर और ठिथवाल को वापस पाकिस्तान को सौंप दिया था। शास्त्री जी को ह्दय संबंधी बीमारी पहले से थी और 1959 में उन्हें एक हार्ट अटैक उन्हें आ भी चुका था।
पत्नी भी थीं Lal Bahadur Shastri से नाराज
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और कृष्ण मेनन दोनों ने ही ताशकंद समझौते को लेकर लाल बहादुर शास्त्री जी की आलोचना की थी सिर्फ इतना ही नहीं उनकी पत्नी भी ताशकंद समझौते को लेकर उनसे खफा थी। लाल बहादुर शास्त्री के मन में इस बात का दबाव था कि उनके खिलाफ लोग नाराजगी क्यों जाहिर कर रहे हैं?
लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद प्रवासी रहने के दौरान उन्होंने अपनी पत्नी से बात करने के लिए फोन किया तो उनकी बड़ी बेटी ने यह कहकर मना कर दिया की मम्मी आपसे बात नहीं करना चाहतीं। शास्त्री जी ने जब जवाब जाना चाहा उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी हाजी पीर और ठिथवाल पाकिस्तान को दे देने के कारण खफा हैं। शास्त्री को इससे बहुत धक्का लगा।
कुलदीप नैय्यर ने क्या लिखा
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी एक किताब ‘बियोंड द लाइन’ लिखी थी जिसमें शास्त्री जी की मौत के बारे में खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि, “उस रात मैं सो रहा था, अचानक एक रूसी महिला ने दरवाजा खटखटाया। उसने बताया कि आपके प्रधानमंत्री मर रहे हैं। मैं जल्दी से उनके कमरे में पहुंचा। मैंने देखा कि रूसी प्रधानमंत्री एलेक्सी कोस्गेन बरामदा में खड़े हैं, उन्होंने इशारे से बताया कि शास्त्री नहीं रहे।
कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब में लिखा कि जब वह शास्त्री के कमरे की तरफ गए तो देखा कि उनका चप्पल कॉरपेट पर रखा हुआ है और उसका प्रयोग उन्होंने नहीं किया था। कमरे में कोई घंटी भी नहीं थी। पास में ही एक ड्रेसिंग टेबल था जिस पर थर्मस फ्लास्क गिरा हुआ था जिससे लग रहा था कि उन्होंने इसे खोलने की कोशिश की थी।
बदन पड़ गया नीला, खाने में मिला था जहर?
ऐसा कहा जाता है कि जिस रात लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत हुई उस रात उनका खाना उनके निजी सहायक रामनाथ है नहीं बनाया था। उनके लिए खाना सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कॉल के कुक जान मोहम्मद ने बनाया था।
मरने के बाद शास्त्री जी के शरीर का रंग नीला पड़ गया था, लोग आशंका जताने लगे कि खाने में जहर मिलाकर दे दिया गया जिसकी वजह से लाल बहादुर शास्त्री की मौत हो गई।
भारत में उनका पार्थिव शरीर आने के बाद उनकी पत्नी ने कहा था कि इस मौत की वजह हृदयाघात नहीं बल्कि इसके पीछे कुछ और रहती है। अगर हृदयाघात की वजह से इनकी मौत होती तो शरीर पर नीले निशान और सफेद चकत्ते नहीं होते।
पोस्टमार्टम नहीं कराने से शक हुआ ज्यादा
लाल बहादुर शास्त्री का शव भारत पहुंचने के बाद लोगों ने पोस्टमार्टम कराने की सलाह दी लेकिन उनका पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। उनका परिवार बार-बार असामयिक निधन पर सवाल खड़ा करता रहा लेकिन सारी आवाज भी बेअसर रही।
परिवार की लाख कोशिशों के बाद उनका पोस्टमार्टम ना कराया जाना लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत के रहस्य को आज भी रहस्य ही बना कर रखे हुए हैं। उनके निधन के बाद एक जांच समिति का भी गठन किया गया था। कहते हैं कि समिति के गठन के कुछ दिन बाद ही लाल बहादुर शास्त्री जी के साथ ताशकंद गए उनके निजी डॉक्टर आर्यन सिंह और उनके सहायक रामनाथ की अलग-अलग दुर्घटनाओं में मौत हो गई।
इस वजह से लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत का राज आज भी राज ही बनकर रह गया है। क्योंकि उनके साथ विदेशी दौरे पर जाने वाले वह दोनों सबूत भी समाप्त हो गए जिनसे कुछ उम्मीद थी।
लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर भारत खबर की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि और दिल की गहराइयों से आभार कि भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला जो बिहार ईमानदार और जनसेवक था।