कोरोना ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया की भी आर्थिक व्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है। कोरोना महामारी के बीच करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर तलवार लटक गई है। अभी कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने एच 1बी वीजा पर बैन लगाया था। जिससे सबसे ज्यादा अमेरिका में रह रहे भारतीय प्रभावित हुए थे। अब ऐसा ही बड़ा कदम कुवैत उठाने जा रहा है। जिसकी वजह से लाखों भारतीयों पर तलवार लटक गई है।
कुवैत की नेशनल असेंबली की कानूनी और विधायी समिति ने अप्रवासी कोटा बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इस बिल के कारण करीब आठ लाख भारतीयों को कुवैत छोड़ना पड़ सकता है।
इस बिल के अनुसार, कुवैत में भारतीयों की आबादी 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। बिल को संबंधित समिति में स्थानांतरित करने की बात कही गई है ताकि इसके लिए एक व्यापक योजना बनाई जाए।आउटलेट ने बताया कि इसस बिल के कारण करीब 8,00,000 भारतीयों को कुवैत छोड़ना पड़ सकता है। आपको बता दें कि कुवैता में भारतीय समुदाय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिसकी कुल संख्या तकरीबन 15 लाख है।
खाड़ी मुल्कों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए कोरोना संकट ने मुसीबत बढ़ा दी है। जहां एक तरफ कच्चे तेल के दाम काफी कम हैं. वहीं गहरी आर्थिक मंदी का खतरा भी उभरा है।ऐसे में कोरोना संक्रमण से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए कुवैत जैसे देशों में भी स्थानीय आबादी के लिए रोजगार अवसर सुनिश्चित करने वाले प्रावधानों के लिए समर्थन के सुर तेज़ हुए।
यह महत्वपूर्ण है कि कुवैत से पहले सउदी अरब, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात भी इस तरह के प्रावधान कर चुके हैं. बीते करीब एक दशक से इस दिशा में कवायदें चल रही हैं. इसके कारण बीते कुछ सालों के दौरान खाड़ी देशों में जाने वाले भारतीय कामगारों की संख्या में भी गिरावट आई।
https://www.bharatkhabar.com/shooting-start-of-upcoming-movie-akshay-kumar/
आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में करीब 3.34 लाख लोग खाड़ी मुल्कों में नौकरियों के लिए गए जो 2015 के मुकाबले आधे से भी कम हैं।
अगर खाड़ी मुल्क इसी तरह से कदम उठाते रहे तो भारतीयों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी। क्योंकि कोरोना के चलते पूरी दुनिया ही आर्थिर संकट से जूझ रही है।