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शाही स्नान के साथ कुंभ मेला की शुरूआत, संगम-प्रयाग में संधु-संतों ने लगाई डुबकी

कुंभ मेला.. शाही स्नान के साथ कुंभ मेला की शुरूआत, संगम-प्रयाग में संधु-संतों ने लगाई डुबकी

कुंभ मेलाः संसार का सबसे बड़ा आयोजन कहा जाने वाला कुंभ मेला की शुरूआत हो गई है। मालूम हो कि यह आयोजन 49 दिनों तक चलता है। मेले का समापन चार मार्च को होगा और इस बीच आठ मुख्य पर्वों पर शाही स्नान होगा। शाही स्नान को देखते हुए प्रयागराज जिले के सभी स्कूल-कॉलेज तीन दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं। शहर की ओर आने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग की गई है। वाहनों को शहर के बाहर बने पार्किंग स्थलों पर ही रोक दिया जा रहा है। इन पार्किंग स्थलों से मेला क्षेत्र तक आने के लिए शटल बसें और ई-रिक्शा चलाए गए है।

 

कुंभ मेला.. शाही स्नान के साथ कुंभ मेला की शुरूआत, संगम-प्रयाग में संधु-संतों ने लगाई डुबकी
शाही स्नान के साथ कुंभ मेला की शुरूआत, संगम-प्रयाग में संधु-संतों ने लगाई डुबकी

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बता दें कि 49 दिनों तक चलने वाले इस बार के कुंभ मेले में लगभग 12 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। जिसमें करीब 10 लाख विदेशी नागरिक भी शामिल है। उत्तर प्रदेश सरकार कुंभ 2019 को अब तक का सबसे भव्य कुंभ बता रही है। सरकार ने इसकी जमकर ब्रांडिंग की है। मान्यता है कि प्रयागराज में जहां पर कुंभ मेले का आयोजन होता है वहीं ब्रह्माण्ड का उद्गम हुआ था यहीं पर पृथ्वी का केंद्र भी है। मान्यता है कि सृष्टि निर्माण से पहले ब्रह्माजी ने इसी स्थान पर अश्वमेघ यज्ञ किया किया था। कुंभ के जिलाधिकारी विजय किरण आनंद के की मानें तो इस बार मेला क्षेत्र करीब 45 वर्ग किमी के दायरे में फैला है। जबकि इससे पहले यह सिर्फ 20 वर्ग किमी क्षेत्र में ही होता था।

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क्षेत्र के बृहद होने का ये लाभ हुआ है कि संगम क्षेत्र में भीड़ का दबाव बहुत अधिक नहीं बढ़ पाएगा और स्नान घाटों के विकल्प बढ़ जाएंगे। कुंभ के दौरान प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा तंबुओं का अस्थायी शहर बस जाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुंभ के आयोजन पर इस साल चार हजार करोड़ रुपये से रुपए खर्च किए जा रहे हैं। साधु संतों के 13 अखाड़ों के लिए हर पर्व पर शाही स्नान का समय और स्नान की अवधि प्रशासन ने सुनिश्चित की है।

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मेला अधिकारी विजय किरण आनंद के मुताबिक 15 जनवरी को पहले शाही स्नान की शुरुआत सुबह 5 बजकर 15 मिनट से हुई। हर अखाड़े को स्नान के लिए 45 मिनट का समय दिया गया है। स्नान शाम को चार बजे तक चलेगा। शाही स्नान में अलग-अलग अखाड़ों से संबंध रखने वाले साधु-संत सोने-चांदी की पालकियों, हाथी-घोड़े पर बैठकर संगम में स्नान के लिए पहुंचते हैं। ये साधु-संत अपनी-अपनी शक्ति और वैभव का प्रदर्शन करते हैं जिसके द्वारा शस्त्र और शास्त्र के समन्वय का संदेश देते हैं।

जानकारी के अनुसार शाही स्नान को राजयोग स्नान भी कहा जाता है। जिसमें साधु-संत और उनके अनुयायी संगम या फिर दूसरी किसी पवित्र नदी में निश्चित समय पर डुबकी लगाते हैं। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में डुबकी लगाने से अमरता का वरदान मिल जाता है।

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