कुलभूषण जाधव मामल में पाकिस्तान की नई करतूत सामने आयी है। जिससे नया विवाद खड़ा हो गया है। पाकिस्तान सरकार ने जाधव को वकील देने के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में कहा कि भारत सरकार की मदद के बिना जाधव वकील नहीं कर सकता। ये भी कहा कि जाधव ने अपनी सज़ा के ख़िलाफ़ रिव्यू पिटीशन दाख़िल करने से इंकार कर दिया है।
पाकिस्तान की जेल में बंद भारत के रिटायर्ड नेवी अफसर कुलभूषण जाधव के काउंसुलर एक्सेस को लेकर हाल ही में भारत सरकार के पाकिस्तान से बात करने की खबर आई थी। भारत हमेशा से ही कहता रहा है कि जाधव के मामले पर पाकिस्तान लगातार दुनिया की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा है। वह अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देशों का बिल्कुल पालन नहीं कर रहा है। दूसरे काउंसुलर एक्सेस के दौरान जाधव ने भय। दबाव और प्रताड़ना के ज़रिए जाधव को याचिका पर दस्तखत नहीं करने दिया।
आपको बता दें, ICJ भारत को जाधव से मिलने के लिए काउंसलर ऐक्सेस देने का आदेश दिया था। पड़ोसी देश ने भारत को इतनी शर्तों थोंपने के बाद काउंसलर ऐक्सस दिया कि उसका कोई मतलब नहीं रह जाता है। जाधव का अपनी मौत की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में रिव्यू याचिका दाखिल करने की मियाद गत सोमवार को खत्म हो गई है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान के जाधव मामले में लगातार बदलते रुख पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की जरूरत नहीं है।
पिछले साल ICJ के आदेश के बाद पाकिस्तान को 20 मई एक अध्यादेश लाकर जाधव को असरदार तरीके से रिव्यू याचिका दाखिल करने की इजाजत देनी पड़ी थी। अध्यादेश के आने के 60 दिनों के भीतर जाधव को रिव्यू याचिका दाखिल करनी थी। लेकिन पाकिस्तान ने जाधव को काउंसलर ऐक्सेस की इजाजत भी नहीं दी। इसके अलावा पाकिस्तान के तिकड़म के कारण भारत भी जाधव के कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पाया।
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पाकिस्तान के इस नये पैतरे की काफी आलोचना हो रही है। जाधव के मामले पर भारत सरकार ने नजर बनाई हुई है।