ऩई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना गया है। भगवान विष्णु ने भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को धरती पर आठंवा अवतार श्री क्रष्ण के रुप में लिया। इस दिन को लोग क्रष्ण जन्माष्टमी के रुप में बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाते हैं और कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर व्रत रखते हैं। आइए जानते हैं कि आपको क्रष्ण जन्माष्टमी पर कैसे पूजन करना चाहिए।
कैसे करें व्रत-पूजन
- उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएंं।
- पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें।
- इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें-
- अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें।
- तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हो।
- इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें।
- इसके साथ ही पूजा में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सभी का नामम जरुर लेना चाहिए।
भोग में क्या चढ़ाएं
- क्रष्ण जन्माष्टमी के मौके पर नटखट बाल गोपाल को माखन मिश्री को भोग लगा सकते हैं। कहते हैं कि क्रष्ण जी को माखन और मिश्री काफी पसंद थे
- कान्हा जी को खीर भी काफी पसंद थी इसलिए लोग उन्हें जन्मोत्सव के समय उन्हें खीर का भोग लगाते हैं।
- क्रष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग कान्हा जी को पंजीरी का भोग जरुर लगाते हैं कहते हैं कि इससे कान्हा जी खुश होते हैं और अपने भक्तों को सुखी रहने का आशीर्वाद देते हैं।
इसके अलावा कई लोग कान्हा जी के लिए 56 भोग तैयार करते हैं जिसमें उनके लिए 56 प्रकार का खाना तैयार किया जाता है। 56 भोग-अनाज, फल, से लेकर इलायची तक शामिल होती हैं।
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