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दो दिन क्यों मनाई जा रही जन्माष्टमी?, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त?

shriKrishna janmastami दो दिन क्यों मनाई जा रही जन्माष्टमी?, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त?

भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में हर साल मनाया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी दो दिन तक जन्माष्टमी मनाई जा रही है। इस  साल 11 अगस्त और 12 अगस्त को जन्माष्टमी  मनाई जा रही है।

srikrishna janmastami दो दिन क्यों मनाई जा रही जन्माष्टमी?, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त?
हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। ज्योतिषों का कहना है कि 12 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाना ज्यादा अच्छा रहेगा। इस रात आप बाल-गोपाल की पूजा कर सकते हैं। मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है।

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी के दिन रात को पूजा करने का समय सही होता है। क्योंकि, भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को ही हुआ था। 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। पूजा की अवधि 43 मिनट है।

पूजा की विधि
पूजा से पहले स्नान जरूर करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान है। पूजा करने से पहले भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान जरूर करवाएं। स्नान के बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं। ध्यान रहें कि वस्त्र नए हो. इसके बाद उनका श्रृंगार करें. भगवान को फिर भोग लगाएं और कृष्ण आरती गाएं।

भगवान कृष्ण के कपड़े खरीदते समय रखें विशेष ध्यान
भगवान कृष्ण के लिए आपने जो वस्त्र खरीदे हैं वो नए ही हो। अक्सर दुकानदार पुराने कपड़ों को ही नया बताकर बेच देते हैं। इस बात का आपको जरूर ध्यान रखना है।

भगवान कृष्ण का जन्म क्यों हुआ?
त्रेता युग के अंत और द्वापर युग के प्रारंभ काल में पापी कंस उत्पन्न हुआ. द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे>उसके बेटे कंस ने उन्हें गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। एक बार कंस, अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल पहुंचाने जा रहा था और तभी रास्ते में अचानक आकाशवाणी हुई- ”हे कंस, जिस देवकी को तू प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है. इसी की गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा”।
जिसके बाद कंस ने अपनी बहन और जीजा को जेल में डाल दिया। कंस की तमाम कोशिशों के बाद भी भगवना कृष्ण ने जन्म लिया और कंस का वध किया। इसके साथ ही महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण की विशेष भूमिका रही है। यही कारण है कि, उनकी पूरी दुनिया में पूजा होती है और मुथरा की गलियों में आज भी भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने लाखों की भीड़ उमड़ती है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का देशभर में विशेष महत्व है। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भगवान श्रीकृष्ण को हरि विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। देश के सभी राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं। वहीं मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं।
लेकिन इस बार कोराेना संक्रमण के बीच धार्मिक आयोजन में भीड़ नहीं लगाने को लेकर सरकार सख्त हो गई है।

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राज्य गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर जन्माष्टमी, गणेशोत्सव और मोहर्रम पर सार्वजनिक कार्यक्रम, प्रतिमा, ताजिया स्थापना और चल समारोह पर रोक लगा दी है। जिसकी वजह से कोई भी धार्मिक कार्यक्रम सार्वजनिक तौर पर न हीं हो सकेगा।

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