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कृष्ण जन्माष्ठमी 2019: जाने क्यों विवाह के बंधन में नहीं बंध पाए थे राधा-कृष्ण

radha 1 कृष्ण जन्माष्ठमी 2019: जाने क्यों विवाह के बंधन में नहीं बंध पाए थे राधा-कृष्ण

नई दिल्ली।आज पूरे देश में कृष्ण जन्माष्ठमी की धूम है लोग बड़े ही जोर शोर से इस पर्व को मना रहे हैं। खास कर इस पर्व की सबसे ज्यादा धूम कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा वृन्दावन में देखने को मिल रही है। इस मौके पर हम आपको राधा-कृष्ण के प्रेस के बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते। राधा कृष्ण की प्रेम कहानी एक ऐसी कहानी है जो किसी से से छुपी नहीं है। सतयुग में किया गया ये प्रेम आज कलयुग में भी उसी तरह कायम है। राधा कृष्ण की प्रेम कहानी के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर इतना गहरा प्रेम होने के बाद भी राधा और कृष्ण का विवाह क्यों नहीं हुआ। आज हम आपको कृष्ण जन्माष्ठमी के मौके पर यहा बात बताने जा रहें कि आखिर प्रेम के इतने गहरे बंधन में बंधने के बाद भी राधा-कृष्ण विवाह के बंधन में क्यों नहीं बंधे सके। पुुराणों में इसकी वजह बताई गई है। लेकिन इसके कई कारण बताए गए हैं, आज हम आपको बता रहें हैं कि आखिर राधा-कृष्ण ने शादी क्यों नहीं की?

radha कृष्ण जन्माष्ठमी 2019: जाने क्यों विवाह के बंधन में नहीं बंध पाए थे राधा-कृष्ण

बता दें कि पौराणिक कथाओं की माने तो कृष्ण राधा के प्रेमी होने के साथ-साथ एक कुशल कूटनीतिज्ञ भी थे। लेकिन राधा तो केवल कृष्ण की ही दीवानी थी। ऐसा माना जाता है कि राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी बचपन से ही शुरू हो गई थी। आपको बता दें कि राधा उम्र में कृष्ण से बड़ी थीं, लेकिन इसके बाद भी उनके मन में कृष्ण के लिए प्रेम पैदा हुआ। पुराणों के अनुसार राधा को माता लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है। ये बात तो सभी जानते हैं कि कृष्ण भगवान विष्णु जी के ही अवतार थे। हालांकि लक्ष्मी जी ने इस बात का प्रण लिया था कि वो हर अवतार में विष्णु जी की पत्नी बनेंगी।

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भगवान विष्णु का उनके अलावा और किसी से विवाह नहीं होगा। अब इस बात को माने तो इस बात की पूरी संभावना हो सकती है कि राधा के रूप में लक्ष्मी जी का विवाह कृष्ण रूप में भगवान विष्णु से हुआ होगा। गर्ग संहिता की माने तो कृष्ण जब बचपन में नंद बाबा की गोद में खेल रहे थे। तभी उन्हें एक अद्भुत शक्ति का अबसास हुआ जो कोई नहीं बल्कि राधा थीं. वो तुरंत ही बाल अवस्था को छोड़ कर यौवनावस्था में आ गए। ऐसा माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा जी ने राधा-कृष्ण का विवाह कराया था। विवाह होने के बाद सब कुछ सामान्य हो गया। विवाह के बाद ही ब्रह्मा जी और राधा जी भी अंतरध्यान हो गए और कृष्ण भी अपनी बाल अवस्था में वापस आ गए।

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वहीं कुछ पौराणिक कथाओं की माना तो राधा और रुक्मणी एक ही थीं. जिस तरह से राधा कृष्ण की दीवानी थीं ठीक वैसे ही रुक्मणी भी कृष्ण को पति के रूप में पाने के सपने देखती थीं. लेकिन रुक्मणी के भाई ने उनका संबंध कहीं और ही कर दिया था। ये बात जानकर रुक्मणी ने अपने भाई से कहा कि अगर उनका विवाह कृष्ण के अलावा किसी से हुआ तो वो अपने प्राण त्याग देंगी। लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि इस घटना से पहले कृष्ण, रुक्मणी को जानते ही नहीं थे, लेकिन इसके बाद भी वो रुक्मणी से विवाह करने चले गए।

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ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण के ऐसा करने के पीछे का कारण ये था कि असल में राधा और रुक्मणी एक ही थीं. पौराणिक कथाओं के अनुसार राधा को रुक्मणी का आध्यात्मिक अवतार भी माना जाता है. अब इन कथाओं की माने तो राधा-कृष्ण का विवाह सीधे तौर पर तो नहीं हुआ लेकिन दोनों जीवन भर एक-दूसरे से प्रेम करते रहे।

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