देश के नए राष्ट्रपति के चुनाव में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर माहौल काफी गर्माया हुआ है। जहां एक तरफ बीजेपी की तरफ से एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का नाम सामने आया है तो दूसरी तरफ सभी विपक्षी दलों ने आपसी गठबंधन कर मीरा कुमार का नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर सामने रखा है। राष्ट्रपति उम्मीदवारों की रेस में जहां बीजेपी का चेहरा रामनाथ कोविंद के जरिए सामने आया है तो विपक्षियों को मीरा कुमार दर्शाने में लगी हुई हैं, उम्मीदवारों की बात की जाए तो दोनों ही उम्मीदवार एक से बढ़कर एक हैं।
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बीजेपी अपने पत्तों को सबसे बाद में ही खोलती है लेकिन इस बार कुछ अलग ही हुआ। विपक्षी पार्टियों ने इस बार पहले बीजेपी के पत्तों को पहले खुलने देना मुनासिब समझा, लिहाजा बीजेपी ने दलित चेहरे को राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए खड़ा किया। जिसके बाद काफी सूझबूझ और बैठके कर विपक्ष ने अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम तय किया और विपक्ष के चेहरे के रूप में मीरा कुमार निकल कर सामने आई। विपक्ष ने भी बीजेपी को देख अपने अपना भी दलित उम्मीदवार को राष्ट्रपति के रेस में खड़ा कर दिया।
जिस तरह से एनडीए ने इस बार अपने पत्तों को पहले खोला और दलित चेहरा रामनाथ कोविंद का नाम सामने रखा तो विपक्षी पार्टियों ने भी अपनी सूझबूझ से दलित चेहरे को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया। विपक्ष की तरफ से मीरा कुमार का नाम सामने आया। बात की जाए श्रीमती मीरा कुमार की तो वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक रही हैं। मीरा कुमार 15वीं लोकसभा में बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। मीरा कुमार के बारे में बताया जाए तो 3 जून साल 2009 को उन्हें लोकसभा की पहली महिला स्पीकर के रूप में चुना गया। मीरा कुमार का राजनीतिक कैरियर 80 के दशक में हुआ था। 1985 में वह पहली बार उन्हें बिजनौर से संसद में चुनकर आई।
मीरा कुमार भी दलित समुदाय से बिलौंग करती हैं। मीरा कुमार पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की सुपुत्री हैं। 1973 में मीरा कुमार भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुई। मीरा कुमार 1990 में कांग्रेस कार्यकारिणी की सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस महासचिव की सदस्य चुनी गई। विपक्ष ने राष्ट्रपति की रेस में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को राष्ट्रपति की रेस में खड़ा किया तो खलबली मच गई। रामनाथ कोविंद के सामने जैसे ही मीरा कुमार का नाम सामने आया तो अब साफ हो गया की टक्कर कड़ाके की होने वाली हैं क्योंकि राष्ट्रपति की रेस में दोनों ही उम्मीदवार दलित समुदाय से बिलौंग करते हैं।
मीरा कुमार का स्वभाव
मीरा कुमार के बारे में कहा जाए तो उनका स्वभाव बेहद ही शांतिपूर्ण रहता है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह कभी भी किसी को नहीं डाटती हैं। उनकी बातें काफी मीठी होती है कि सुनने वाला इसे इतने प्यार से सुनता है कि उसका मन करता है कि उनकी बातों को सुनता ही रहे। वही एक दिग्गज राजनैतिक पिता की पुत्री होने के नाते वह भी काफी सहासी हैं। एक बार 1982 में विदेश विभाग के कर्मचारी ने उनके बारे में जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया। जिसके बाद वहां मौजूद सभी लोगों को लगा की अब उस युवक को अपनी नौकरी से हाथ धौना पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने बड़े ही प्यार से अपने कमरे में बुलाकर उस युवक से कहा कि आप मुझसे उम्र में काफी ज्यादा बड़े हैं और जिस शब्द को आप अपने प्रयोग में लाए हैं उसे आज के दौर में गाली माना जाता है। इसके बाद उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहती की आपकी उम्र वाला युवक ऐसी बातें करें। यह सब होने के बाद सब लोग हैरान हो गए और सब सोचने लग गए कि इतना सब कुछ होने के बाद भी मीरा कुमार को गुस्सा नहीं आया और अभी भी उनके चेहरे पर मुस्कान है।
Pradeep Sharma