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रंगीन क्यों नहीं होते टायर? जानिए काले रंग का रहस्य

रंगीन क्यों नहीं होते टायर? जानिए काले रंग का रहस्य

लखनऊः हमारी जिंदगी में कार, बाइक, साइकिल, बस जैसे वाहन बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हम इनका इस्तेमाल अपने सफर के दौरान करते हैं। इन सभी में एक चीज का समानता काफी हद तक है। इन सबी वाहनों में लगे टायर रबड़ के होते हैं। चूंकि रबड़ा प्राकृतिक रूप से स्लेटी रंग का होता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि टायरों का रंग काला ही क्यों होता है?

टायरों का रंग किसी और कलर में बनाया जा सकता था। इसे रंगीन किया जा सकता था, लेकिन काला ही क्यों बनाया गया? अगर आप भी इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो आज हम इसके पीछे की साइंस बताएंगे।

दरअसल, टायर के काले रंग के पीछे की वजह कार्बन और सल्फर है। टायर बनाते वक्त रबड़ में ये दोनों पदार्थ मिलाए जाते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐसा करने से रबड़ की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है और टायर मजबूत और टिकाऊ बन जाते हैं।

आपने ढ़ाबों को छोड़कर कहीं भी रंगीन टायर नहीं देखा होगा। ढ़ाबों पर रंगीन टायर का इस्तेमाल सिर्फ प्रदर्शन के लिए किया जाता है। किंतु गाड़ियों में हमेशा काले रंग क ही टायरों का इस्तेमाल किया जाता है। इसका रंगनी न होने के पीछे प्रमुख कारण है। दरअसल, टायर बनाते समय अगर टायर को रंगीन कर दिया जाए तो ये दस किलोमीटर चलकर घिस जाएगा। क्योंकि रंगीन टायर घर्षण झेल नहीं पाएंगे। वहीं, जब इसमें कार्बन और सल्फर मिला दिया जाता है तो यही टायर लाख किलोमीटर तक चलने पर भी नहीं घिसेंगे।

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