नई दिल्ली। दुनियाभर में आज गुड फ्राइडे की धूम मची हुई है। भारत में भी ईसाई समुदाय के लोग गुड़ फ्राइडे मना रहे हैं। भगवान यीशू ने मानवता की भलाई के लिए आज के दिन ही अपने प्राणों की आहूति दी थी। दुनियाभर में ईसाई धर्म को मानने वाले लोग आज के दिन चर्च जाकर भगवान यीशू को याद करते हैं और और उनकी प्रार्थना करते हैं। आईए जानते हैं कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में किस प्रकार से मनाया जाता है गुड फ्राइडे….
दुनिया के कई देशों में गुड फ्राइडे को ग्रेट या फिर ब्लैक फ्राइडे भी कहा जाता है और इस दिन को कुछ लोग पवित्र शुक्रवार यानी की होली फ्राइडे भी कहते हैं। ईसाई ग्रंथो के मुताबिक मान्यता है कि इस दिन भगवान यीशू को क्रॉस यानी की सूली पर लटकाया गया था और वो भी तब जबकी उनका कोई कसूर नहीं था। खास बात ये है कि जब उन्हें क्रॉस पर लटकाया जा रहा था तब भी वो उन्हें सूली पर लटकाने वालो के लिए प्रार्थना कर रहे थे और कह रहे इन्हें माफ करना परमेश्वर। यीशू के इस वाक्य को आज भी याद किया जाता है। इसमें उन्होंने कहा था कि ये प्रभ। इन्हें क्षमा कर दीजिए क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं। प्रभु यीशू के इसी बलिदान दिवस को गुड फ्राइडे कहा जाता है।
गौरतलब है कि बलिदान के तीन दिन बाद यानी रविवार को यीशू फिर जी उठे थे इसलिए इस दिन को ईसाई धर्मावलंबी ईस्टर संडे के तौर पर मनाते हैं। कहा जाता है कि यीशू ने मानवता की रक्षा के लिए उस दौर के समाज में फैली गलत परंपराओं के खिलाफ लोगों को जागरूक किया था, जिसकी सजा उन्हें इस रूप में मिली थी। यीशू के प्रसार-प्रचार का यहूदियों के गुरुओं ने सख्त लहजे में विरोध किया था और यीशू की शिकायत रोम प्रशासन से की गई थी। दरअसल, रोमन प्रशासन को हमेशा इस बात का डर सताता था कि कहीं यहूदी बगावत ना कर दें। रोमन गवर्नर ने ही यीशू को क्रॉस पर लटकाकर प्राणदंड का आदेश दिया था। यीशू ने प्राण आहूति देने से पहले कहा था- हे परमेश्वर। मैं अब अपनी आत्मा आपको सौंप रहा हूं।