लखनऊ: जब बड़ी समस्या सामने आ जाती है, तो छोटी-छोटी दिक्कतों को अक्सर हम भूल जाते हैं। ऐसा ही कोरोना महामारी के दौरान देखने को मिला, संक्रमित मरीजों को प्राथमिकता देने के चक्कर में अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों का इलाज पीछे छूट गया। स्वास्थ्य सुविधाओं का पूरा ध्यान इन्हीं मरीजों पर टिक गया, इसी का परिणाम है कि 50000 मरीजों को ऑपरेशन का इंतजार है।
सरकारी और निजी संस्थान में लंबी लाइन
महामारी में सभी अस्पतालों को कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लगा दिया गया। पेट, हड्डी और अन्य अंगों से जुड़े मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा। इसी का परिणाम है कि लखनऊ के निजी और सरकारी अस्पतालों में कुल 50000 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें ऑपरेशन का इंतजार है। शहर के निजी अस्पतालों में ही 35000 मरीज ऑपरेशन के लिए पंजीकृत करवा चुके हैं।
इसके अतिरिक्त केजीएमयू, लोहिया और पीजीआई में यह संख्या 15 हजार की है। इनमें सबसे ज्यादा पेट और हड्डी से जुड़े मरीज हैं, जिन्हें बेहतर इलाज के लिए ऑपरेशन से गुजरना होगा।
4 से 5 दिन में तैयार होगा ऑपरेशन थिएटर
महामारी ने स्वास्थ्य विभाग पर सबसे बड़ा प्रभाव डाला है। डॉक्टर और अन्य चिकित्सा कर्मी लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं। अब कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण लग गया है लेकिन अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीज अस्पताल आना शुरू कर चुके हैं। ऐसे में उनका इलाज करने के लिए दोबारा अस्पताल को तैयार करना भी इन्हीं की जिम्मेदारी है। खबरों के अनुसार अभी भी ऑपरेशन थिएटर दोबारा तैयार करने में 4 से 5 दिन का समय लगेगा, तब तक इन सभी मरीजों को इंतजार करना होगा।