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जाने क्यों 31 अक्टूबर को ही पीएम मोदी ने किया था एकता दिवस मनाने का फैसला

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नई दिल्ली। सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर को एकता दिवस मनाया जाता है। भारत की राजनीति में यह दिन 2 मायनों में बेहद अहम है। पहला 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पड़ती है तो दूसरा इसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में केंद्र में सत्ता में आने पर उसी साल अक्टूबर में पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने का ऐलान किया था। तब से यह एकता दिवस हर साल मनाया जाता है।

बता दें कि आजादी के बाद कांग्रेस राज में सरदार पटेल की भूमिका ज्यादा नहीं दिखी, लेकिन नरेंद्र मोदी ने सरदार को अपने राजनीतिक करियर में शामिल किया जो आज भी जारी है। माना जाता है कि 2003 के बाद मोदी ने अपने भाषणों में सरदार पटेल को शामिल किया। उसके बाद उन्होंने अपने संबोधन में गुजरात और सरदार पटेल को लगातार शामिल किए रखा. 2006 से यह सिलसिला जोर पकड़ता चला गया।

वहीं अब मोदी केंद्र में हैं और पिछले साढ़े 5 साल से प्रधानमंत्री हैं और उनके राज में 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। 31 अक्टूबर को ही इंदिरा गांधी की उनके ही सुरक्षा बलों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने भाषणों में 31 अक्टूबर को याद करते हुए कहते हैं कि एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या सुरक्षा की कमी के कारण कर दी गई. इसलिए देश में सुरक्षा बेहद अहम है।

साथ ही 31 अक्टूबर का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने पिछले दिनों अपने संबोधन में सरदार पटेल और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी याद किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ओर सरदार पटेल को याद करते हुए कहा कि भारत के प्रथम गृह मंत्री के रूप में सरदार पटेल ने देशी रियासतों को एक करने का ऐतिहासिक काम किया। उनकी नजर जहां हैदराबाद, जूनागढ़ और अन्य राज्यों पर केंद्रित थी तो वहीं उनका ध्यान दक्षिण में लक्षद्वीप जैसे छोटे इलाकों पर भी था। प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी. देश को उस वक्त बड़ा सदमा लगा था। आज उनको श्रद्धांजलि देता हूं।

केंद्र में आने के बाद नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर को एकता दिवस का ऐलान कर एक साथ दो निशाने साधने की कोशिश की है। मोदी की कोशिश सरदार पटेल के नाम पर राष्ट्रवाद के जरिए जनता को अपने पक्ष में करने की है तो वहीं इंदिरा गांधी की इसी दिन हुई हत्या पर एकता के खतरे का जिक्र करते हुए कड़े फैसले लेने की बात करना चाहते हैं।

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