featured देश भारत खबर विशेष

जानिए आखिर नाथूराम गोडसे ने क्यों ली थी बापू की जान !

जानिए आखिर नाथूराम गोडसे ने क्यों ली थी बापू की जान !

नई दिल्ली:  महात्मा गांधी के जन्मदिन के दिन ही उनकी हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे के बारे में बताने जा रहे हैं। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर उसने महात्मा गांधी की हत्या क्यों की? तो जानिये कौन था नाथूराम गोडसे और क्यों की उसने महात्मा गांधी की हत्या।

 

नाथूराम गोटसे ने क्यूं ली वापू की जान जानिए आखिर नाथूराम गोडसे ने क्यों ली थी बापू की जान !

 

नाथूराम गोडसे का जन्म 19 मई साल 1910 को पुणे के चित्पावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। गोडसे के पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट ऑफिस में काम करते थे और माँ का नाम लक्ष्मी था। नाथूराम एक हिंदूवादी कार्यकर्ता और पत्रकार था। वह हिंदूवादी ज़रूर था पर वह हिन्दू धर्म में मौजूद बुराइयों जैसे जाति के आधार पर भेदभाव और छुआछूत आदि का विरोधी था। यह बात उसने कोर्ट में दिए गए आखिरी बयान में बताया कि उसने आजादी के वक्त विभाजन के बाद आए हिंदू शरणार्थियों के साथ भी काम किया था।

 

ये भी पढें:

महात्मा गांधी की मूर्ती को किया गया भगवा, ग्रामीणों ने जताई नाराजगी

 

विभाजन के बाद पाकिस्तान ने 55 करोड़ रुपए मांगे थे। भारत सरकार ने पहले तो इसे देने से इंकार कर दिया लेकिन गांधीजी के दबाव में यह रुपए पाकिस्तान को दिए गए। इस बात को लेकर अन्य हिंदूवादियों की तरह गोडसे भी गांधी जी से नाराज था। गांधी हत्याकांड की जांच कर रहे कपूर कमीशन ने लिखा है कि 30 जनवरी से पहले भी गांधी जी को मारने के प्रयास हुए थे। 20 जनवरी साल 1948 को ही प्रार्थना सभा से करीब 75 फीट दूर एक बम फेंका गया था।

 

कहा जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कायर्कताओं में से कुछ इस काम को अंजाम देना चाहते थे लेकिन इस नाकाम कोशिश के बाद नाथूराम ये जिम्मा अपने सर पर ले लिया। उसने नारायण आप्टे और विष्णु रामकृष्ण करकरे के साथ पुणे में 30 जनवरी के अपने प्लान को पूरा करने के लिए योजना बनाई। इस योजना के तहत करकरे ने पहले ही दिल्ली पहुंचकर माहौल का जायजा लिया फिर 27 जनवरी को अब मुंबई से विमान आप्टे और गोडसे दिल्ली पहुंचे।

 

ये भी पढें:

जानिए: कब-कब सामने आया भारत के खिलाफ पाकिस्तान का दोगला चेहरा

 

 

गोडसे और आप्टे रेल से उसी दिन भोपाल निकल गए। वहां वह अपने एक मित्र से मिले जिसने उन्हें एक सेमी-ऑटोमैटिक पिस्तौल दिलाई। दोनों 29 तारीख को फिर दिल्ली पहुंच गए। दिल्ली लौटने के बाद गोडसे और आप्टे दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित मरीना होटल में ठहरे। उन्होंने होटल में अपना नाम एम देशपांडे और एस देशपांडे लिखा था जबकि करकरे अपने एक और साथी के साथ चांदनी चौक के एक होटल में ठहरे थे।

 

ये भी पढें:

जानिए: क्या हुआ था भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले 1971 तीसरे युद्ध के बाद

 

30 जनवरी को दोपहर करीब 3 बजे गोडसे, आप्टे और करकरे बिड़ला हाउस के लिए निकले। गोडसे जब बिड़ला हाउस पहुंचा तो वहां कुछ खास तलाशी नहीं हो रही थी, जिस कारण वह आराम से पिस्तौल लेकर अंदर घुस गया।

 

गोडसे पहले तो गांधी जी के रास्ते में था फिर जब गांधी जी ने उसे रास्ता देने के लिए कहा तो कोई कुछ समझ पाता गोडसे ने आभा को धक्का देकर पीछे किया और सामने से गांधी जी के सीने पर तीन गोलियां दाग दीं। गोडसे भागने की बजाए अपना हाथ ऊपर कर पुलिस को बुलाने लगा। जब भीड़ में मौजूद पुलिस उसे दिखी तो उसने उन्हें आवाज दी और अपनी पिस्तौल पुलिस को सौंप दी। शाम 5:45 पर आकाशवाणी ने गांधी के निधन की सूचना देश को दी थी।

 

नाथूराम ने कोर्ट में कहा –सम्मान ,कर्तव्य और अपने देश वासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमे अहिंसा के सिधांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है। मैं कभी यह नहीं मान सकता की किसी आक्रामक का शसस्त्र प्रतिरोध करना कभी गलत या अन्याय पूर्ण भी हो सकता है। प्रतिरोध करने और यदि संभव हो तो एअसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करना, में एक धार्मिक और नैतिक कर्तव्य मानता हूं। मुसलमान अपनी मनमानी कर रहे थे। या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के सामने आत्मसर्पण कर दे और उनकी सनक, मनमानी और आदिम रवैये के स्वर में स्वर मिलाए अथवा उनके बिना काम चलाये।

 

ये भी पढें:

जानिए: भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में हुआ दूसरा युद्ध, क्या निकलें परिणाम

 

वे अकेले ही प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के निर्णायक थे। महात्मा गांधी अपने लिए जूरी और जज दोनों थे। गांधी ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सोंदर्य और सुन्दरता के साथ बलात्कार किया। गांधी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओ की कीमत पर किये जाते थे जो कांग्रेस अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ भरा करती थी ।

 

ये भी पढें:

जानिए: कब और कैसे हुआ आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध

 

उसीनेगुप्त रूप से बन्दुक की नोक पर पकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया। मुस्लिम तुस्टीकरण की निति के कारन भारत माता के टुकड़े कर दिए गय और 15 अगस्त 1947 के बाद देशका एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई।

 

नेहरू तथा उनकी भीड़ की स्विकरती के साथ ही एक धर्म के आधार पर राज्य बना दिया गया। इसी को वे बलिदानों द्वारा जीती गई सवंत्रता कहते हैकिसका बलिदान ? जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गाँधी के सहमती से इस देश को काट डाला, जिसे हम पूजा की वस्तु मानते है तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया।

 

ये भी पढें:

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख इमरान खान ने अमेरिका राजदूत से की बातचीत

 

मैं साहस पूर्वक कहता हु की गांधी अपने कर्तव्य में असफल हो गय उन्होंने स्वय को पकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया। मैं कहता हु की मेरी गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी ,जिसकी नित्तियो और कार्यो से करोडो हिन्दुओ को केवल बर्बादी और विनाश ही मिला ऐसे कोई क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके द्वारा उस अपराधी को सजा दिलाई जा सके इसलिए।

 

By: Ritu Raj

Related posts

Somvati Amavasya 2021: सोमवती अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग

Saurabh

31 दिसंबर 2021 का पंचांग: शुक्रवार, जानें साल के आखिरी दिन का शुभ काल और नक्षत्र

Neetu Rajbhar

राजनाथ ने कहा : कुछ देश आतंकवाद को नीति की तरह कर रहे हैं इस्तेमाल

shipra saxena