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जानिए- कब और किन पर लाया गया महाभियोग प्रस्ताव, अब निशाने पर सीजेआई दीपक मिश्रा

cji dipak जानिए- कब और किन पर लाया गया महाभियोग प्रस्ताव, अब निशाने पर सीजेआई दीपक मिश्रा

नई दिल्ली। सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी दल लामबंद हैं। लेफ्ट,कांग्रेस, एनसीपी अब रणनीति बना चुके हैं। जिसके तहत वो अब महाभियोग लाने की पूरी तैयारी में लगे हैं। सीजेआई दीपक मिश्रा पहले ऐसे न्यायमूर्ति नहीं जिनके खिलाफ महाभियोग लाने की बात हो रही है। इसके पहले भी देश में कई जजों पर महाभियोग लगा है। जिसके बाद उन पर कार्रवाई भी की गई है। तो कई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया लेकिन साबित कुछ नहीं हुआ। अब सीजेआई दीपक मिश्रा निशाने पर हैं। जानते हैं इसके पहले कब-कब महाभियोग लाया गया। इसके साथ किन-किन न्यायमूर्तियों पर लगा महाभियोग का दाग।

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देश के न्याय के मंदिर सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश पर महाभियोग लाने की बात चल रही है। बामदलों के साथ विपक्षी दल इस बात के लिए लामबंद हो रहे हैं। इस मामले की प्रक्रिया शुरू कर अन्य विपक्षी दलों से हस्ताक्षर लिया जा रहा है। हांलाकि इस बारे में अभी तक इन दोनों दलों से औपचारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है। लेकिन विभिन्न विपक्षी पार्टियों के सांसदों का हस्ताक्षर अभियान जारी है। यह कोई पहली बार नहीं हैं इसके पहले कई बार महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है।

न्यायमूर्ति सौमित्र सेन का मामला
कोलकता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सौमित्र सेन के ऊपर साल 2011 में न्यायाधीश के तौर पर वित्तीय गड़बड़ी करने और तथ्यों की गलतबयानी करने का दोषी पाया गया था। जिसके बाद राज्यसभा में इनके खिलाफ इसके खिलाफ महाभियोग चलाने के पक्ष में मतदान किया गया था। लेकिन लोकसभा में महाभियोग की कार्यवाही शुरू होने के पहले ही न्यायमूर्ति सेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

न्यायमूर्ति पर्दीवाला का मामला
गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे बी पर्दीवाला के खिलाफ साल 2015 में राज्यसभा के 58 सदस्यों ने महाभियोग का नोटिस भेजा था। उनको यह नोटिस आरक्षण के मुद्दे पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने और पाटीदार किसान नेता हार्दिक के खिलाफ एक मामले में फैसला देने को लेकर हुआ था। हांलाकि महाभियोग का नोटिस भेजने के चंद घंटों में न्यायमूर्ति पर्दीवाला ने फैसले से अपनी टिप्पणी वापस ले ली थी।

न्यायमूर्ति पी डी दिनाकरण का मामला
न्यायिक पद का दुरुपयोग कर जमीनों पर कब्जा करने, भ्रष्टाचार करने के आरोपों में जांच के दायरे में आने वाले सिक्किम उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रहे पी डी दिनाकरण के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था। हांलाकि महाभियोग की कार्यवाही शुरू होने के पहले ही जस्टिस पी डी दिनाकरण ने अपने पद से साल 2011 में इस्तीफा दे दिया था।

न्यायमूर्ति नागार्जुन रेड्डी का मामला
आंध्रप्रदेश और तेलंगाना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नागार्जुन रेड्डी के विरूद्ध अपने पद का दुरूपयोग करने का मामला सामने आया था। जब एक दलित के प्रताड़ित करने का आरोप लगा था। इसके खिलाफ राज्यसभा के 54 सांसदों ने प्रस्ताव दिया था। लेकिन बाद में 9 ने प्रस्ताव से अपने हस्ताक्षर वापस ले लिए थे। जिसके बाद महाभियोग की कार्यवाही रूक गई थी।

न्यायमूर्ति वी रामास्वामी का मामला
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति वी रामास्वामी पर साल 1993 में महाभियोग की कार्यवाही शुरू हुई थी। लेकिन इस कार्यवाही के पूर्ण होने के लिए लोकसभा में तकरीबन दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी। जिसमें इस मामला का समर्थन करने वालों के पास लोकसभा में दो तिहाई बहुमत नहीं मिला। जिसके बाद महाभियोग असफल हो गया था।

अब उच्चतम न्यायलय के प्रधान न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की विपक्ष तैयारी में है। राकंपा सांसद डीपी त्रिपाठी के अनुसार अब तक हस्ताक्षर करने वालों में राकंपा, माकपा, भाकपा के सदस्य तथा अन्य लोग हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के सांसदों का भी इस मामले को लेकर समर्थन है। नियम के मुताबिक लोकसभा में लगभग 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए विभिन्न विपक्षी दलों ने राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलामनबी आजाद से मुलाकात भी की है। हांलाकि इस बारे में कोई पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।

Piyush Shukla जानिए- कब और किन पर लाया गया महाभियोग प्रस्ताव, अब निशाने पर सीजेआई दीपक मिश्राअजस्र पीयूष

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