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जाने क्या है नागरिकता बिल की सच्चाई, कुछ तो भ्रम है इसको लेकर, आप भी जाने

AMIT SHAH जाने क्या है नागरिकता बिल की सच्चाई, कुछ तो भ्रम है इसको लेकर, आप भी जाने

नई दिल्ली। नागरिकता कानून को लेकर देश भर में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच गृह मंत्रालय के सूत्रों ने लोगों को अफवाहों से बचने की सलाह दी है। इसमें सलाह दी है कि खुद को गुमराह न होने दें और गलत सूचना का शिकार न बनें। कुछ सवालों का जवाब देते हुए पूरे मामले पर लोगों को नागरिकता कानून से संबंधित मुद्दों पर जानकारियां भी दी हैं। इसमें कहा गया है कि अपना स्वार्थ साधने वालों के बहकावे में न आकर खुद पढ़ें,

ऐसा नहीं है। CAA अलग कानून है और NRC एक अलग प्रक्रिया है। CAA संसद से पारित होने के बाद देशभर में लागू हो चुका है, जबकि देश के लिए NRC के नियम व प्रक्रिया तय होने अभी बाकी हैं। असम में जो NRC की प्रक्रिया चल रही है, वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और असम समझौते के तहत की गई है। किसी भी धर्म को मानने वाले भारतीय नागरिक को CAA या NRC से परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।

इसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह भारत के सभी नागरिकों के लिए होगा। यह नागरिकों का केवल एक रजिस्टर है, जिसमें देश के हर नागरिक को अपना नाम दर्ज कराना होगा। NRC किसी धर्म के बारे में बिल्कुल भी नहीं है। जब NRC लागू किया जाएगा, वह न तो धर्म के आधार पर लागू किया जाएगा और न ही उसे धर्म के आधार पर लागू किया जा सकता है। किसी को भी सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वह किसी विशेष धर्म को मानने वाला है।

सबसे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि राष्ट्रीय स्तर पर NRC जैसी कोई औपचारिक पहल शुरू नहीं हुई है। सरकार ने न तो कोई आधिकारिक घोषणा की है और न ही इसके लिए कोई नियम-कानून बने हैं। भविष्य में अगर ये लागू किया जाता है तो यह नहीं समझना चाहिए कि किसी से उसकी भारतीयता का प्रमाण मांगा जाएगा। NRC को आप एक प्रकार से आधार कार्ड या किसी दूसरे पहचान पत्र जैसी प्रक्रिया से समझ सकते हैं। नागरिकता के रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आपको अपना कोई भी पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज देना होगा, जैसा कि आप आधार कार्ड या मतदाता सूची के लिए देते हैं।

 नागरिकता नियम 2009 के तहत किसी भी व्यक्ति की नागरिकता तय की जाएगी। ये नियम नागरिकता कानून, 1955 के आधार पर बना है। यह नियम सार्वजनिक रूप से सबके सामने है। किसी भी व्यक्ति के लिए भारत का नागरिक बनने के पांच तरीके हैं।

  1. जन्म के आधार पर नागरिकता
  2. वंश के आधार पर नागरिकता
  3. पंजीकरण के आधार पर नागरिकता
  4. देशीयकरण के आधार पर नागरिकता
  5. भूमि विस्तार के आधार पर नागरिकता

आपको अपने जन्म का विवरण जैसे जन्म की तारीख, माह, वर्ष और स्थान के बारे में जानकारी देना ही पर्याप्त होगा। अगर आपके पास अपने जन्म का विवरण उपलब्ध नहीं है तो आपको अपने माता-पिता के बारे में यही विवरण उपलब्ध कराना होगा। लेकिन कोई भी दस्तावेज माता-पिता के द्वारा ही प्रस्तुत करने की अनिवार्यता बिल्कुल नहीं होगी। जन्म की तारीख और जन्मस्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज जमा कर नागरिकता साबित की जा सकती है। हालांकि अभी तक ऐसे स्वीकार्य दस्तावेजों को लेकर भी निर्णय होना बाकी है। इसके लिए वोटर कार्ड, पासपोर्ट, आधार, लाइसेंस, बीमा के पेपर, जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, जमीन या घर के कागजात या फिर सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी इसी प्रकार के अन्य दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है। इन दस्तावेजों की सूची ज्यादा लंबी होने की संभावना है ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक रूप से परेशानी न उठाना पड़े।

असम की समस्या को पूरे देश से जोड़ना ठीक नहीं है। वहां घुसपैठ की समस्या लंबे समय से चली आ रही है। इसके विरोध में वहां 6 वर्षों तक आंदोलन चला है। इस घुसपैठ की वजह से राजीव गांधी सरकार को 1985 में एक समझौता करना पड़ा था। इसके तहत घुसपैठियों की पहचान करने के लिए 25 मार्च, 1971 को कट ऑफ डेट माना गया, जो एनआरसी का आधार बना। पहचान प्रमाणित करने के लिए बहुत सामान्य दस्तावेज की जरूरत होगी। राष्ट्रीय स्तर पर NRC की घोषणा होती है तो उसके लिए सरकार ऐसे नियम और निर्देश तय करेगी जिससे किसी को कोई परेशानी न हो। सरकार की यह मंशा नहीं हो सकती कि वह अपने नागरिकों को परेशान करे या किसी दिक्कत में डाले!

इस मामले में अधिकारी उस व्यक्ति को गवाह लाने की इजाजत देंगे। साथ ही अन्य सबूतों और Community Verification आदि की भी अनुमति देंगे। एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। किसी भी भारतीय नागरिक को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जाएगा। यह सोचना पूरी तरह से सही नहीं है। ऐसे लोग किसी न किसी आधार पर ही वोट डालते हैं और उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। उसी के आधार पर उनकी पहचान स्थापित हो जाएगी। NRC जब कभी भी लागू किया जाएगा, ऊपर बताए गए किसी भी समूह को प्रभावित नहीं करेगा।

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