नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के भारत सरकार के फैसले के बाद से घाटी में जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। इस बीच एक शीर्ष भारतीय राजनयिक द्वारा जम्मू-कश्मीर में इस्राइली मॉडल को अपनाने का समर्थन करने के बात इसकी चर्चा भी तेज हो गई है कि क्या भारत कश्मीर मामले में इस्राइली रणनीति पर काम कर रहा है।
बता दें कि कुछ दिनों पहले न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्यदूत संदीप चक्रवर्ती ने एक निजी कार्यक्रम में कहा था कि भारत सरकार को कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए इस्राइल जैसी नीति अपनानी चाहिए। इस कार्यक्रम में बॉलीवुड की कुछ प्रसिद्ध हस्तियों सहित अमेरिका में रहने वाले कश्मीरी पंडित भी मौजूद थे। संदीप चक्रवर्ती का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।
जानिए क्या है इस्राइली मॉडल जिसको कश्मीर में लागू करने की हो रही है चर्चा और इस्राइल इसमें कितना कामयाब हुआ है। 1967 में इस्राइल ने पड़ोसी देशों के साथ हुए युद्ध (6 डे वॉर) के बाद जितने भी इलाकों पर कब्जा जमाया वहां उन्होंने अपने लोगों को बसाने की नीति अपनाई। इसमें वेस्ट बैंक, पूर्वी येरूशलम और गोलान की पहाड़ियां शामिल हैं।
बता दें कि 1967 के युद्ध से पहले वेस्ट बैंक और पूर्वी येरूशलम पर जॉर्डन का अधिकार था। वहीं गाजा पट्टी पर मिस्र का कब्जा था। इस युद्ध के बाद इस्राइल ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त ग्रीन लाइन के बाहर के इलाके में अपना विस्तार करना शुरू कर दिया। ग्रीन लाइन के बाहर का इलाका इस्राइल की सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था। इसके बाद इस्राइल ने सर्वसम्मति से अपना विस्तार करने का फैसला किया। इसके लिए सरकार ने अपने खर्च पर ग्रीन जोन से बाहर कॉलोनियां बसानी शुरू कर दी।
इन कॉलोनियों में अधिक लोग रहने के लिए आएं इसके लिए इस्राइली सरकार ने कई तरह के टैक्स में बहुत छूट दी। इसके अलावा भी यहां के निवासियों को कई दूसरी सुविधाएं भी प्रदान की गई थीं। एक रिपोर्ट के अनुसार इन इलाकों में अभी कुल 132 बस्तियां और 113 आउटपोस्ट हैं। जिनमें चार लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। हालांकि कई अंतरराष्ट्रीय संगठन इन कॉलोनियों को अवैध घोषित कर चुके हैं। फिर भी, इस्राइल ने अपने लोगों को इन इलाकों में बसाने का काम जारी रखा है। हालांकि गाजा पट्टी के क्षेत्र में यह प्रक्रिया धीमी है जबकि वेस्ट बैंक में तेज है।