नई दिल्ली। देश भर में आज धनतेरस का त्योहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस दिन शाम को लोग अपने घरों में धन के देवता की पूजा-अर्चना करते है और उनके सुख-समद्धि का वरदान मांगते है। लेकिन क्या आपको पता है आखिर के भगवान धनवंतरि की उत्पत्ति कैसे हुई कब हुआ था? पूजा की शुभ महूर्त कब है और कब खरीदे सोना-चांदी? नहीं ना..तो चलिए जानिए धन के देवता से जुड़ी खास बातें और पूजा का शुभ मुहूर्त।
अमृत के देवता है धनवंतरि:-
धनतेरस अमृत के देवता धनवंतरि जी का पर्व है। समुद्र मंथन के पश्चात इसी दिन धनवंतरि जी अमृत के साथ प्रकट हुए थे जिसके चलते इसी दिन श्री यंत्र और धनवंतरि जी की पूजा की जाती है। इस वर्ष धनतेरस 28 अक्टूबर यानि कि आज मनाया जा रहा है।
जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त:-
भगवान धनवंतरि की पूजा काफी विधि-विधान से की जाती है और इस जिन सोना-चांदी के बर्तनों या फिर किसी वस्तु को खरीदना काफी शुभ माना जाता है। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार भगवान धनवंतरि की पूजा या फिर किसी भी चीज की खरीदारी शाम को 6 बजकर 17 मिनट तक कर ले, क्योंकि उसके बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। चूंकि चतुर्दशी पूर्वाध में भद्रा के साथ होती है इस वजह से पूजाकाल निषिद्ध है। इसलिए इस समय पूजा न करें और किसी भी शुभ सामान को लेने से बचें।
पूजा में कुछ बातों का रखें विशेष ध्यान:-
पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक हैं क्योंकि हस्त नक्षत्र चूंकि समस्त है जिसके कारण ये निर्धारित है कि चंद्रमा का आवाह्न करना चाहिए और उसके बाद स्वास्तिक के ऊपर श्री यंत्र की स्थापना करना चाहिए। पूजा करते समय प्राय: सफेद पुष्पों के साथ-साथ धूप बत्ती (गुग्गुल) का प्रयोग करना चाहिए।
धनतेरस के दिन चांदी से बनी वस्तु अवश्य लेनी चाहिए। अगर चांदी से बनी कोई वस्तु न हो तो चांदी का सिक्का और उसके बाद स्वर्णधातु का विधान है। इस वर्ष धनतेरस चंद्रमा के नक्षत्र में है तो चांदी लेना फलदायी होगा। इसके साथ ही धनतेरस की रात्रि में चौमुखा दीपक घर से बाहर निकाला जाता है जिसको यम दीपक भी बोला गया है। ये दीपक मृत्यु निवारक होता है। इस कार्य को धनतेरस की पूजा के पश्चात किया जाता है।
(राजेश त्रिपाठी, प्रोफेसर,दिल्ली यूनिवर्सिटी)