नई दिल्ली। बीते 20 मार्च को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर एक नई गाइड दी। जिसमें 1989 एसटी-एसटी एक्ट में अमूलचूल परिवर्तन कर दिया। इस परिवर्तन के बाद देश में कई दलित संगठन नाराज हैं। इसको लेकर भारत बंद का आह्वान किया गया। संगठनों को विपक्षी दलों का सीधा समर्थन भी मिल रहा है। विपक्षी पार्टियां इस मामले में केन्द्र सरकार को विलेन के तौर पर दिखा रही है। वैसे भी भी मोदी सरकार पर सत्ता में आने के साथ ही दलितों का विरोध विपक्ष गाहे-बगाहे बताता रहा है। अब ताजा मामले में सरकार के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में कई जगह हिंसक वारदातें भी हुई हैं। कई जगह आगजनी और आमजनता को परेशान किया जा रहा है। वैसे इस ताजा मामले में केन्द्र सरकार ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। लेकिन विपक्ष सरकार पर संसद में अध्यादेश लाने के लिए दबाव बना रहा है। वैसे मोदी सरकार पर बीते 4 सालों में दलितों को लेकर कई बार निशाना साधा गया है। दलितों के मामलों को लेकर चाहे वो ऊना कांड हो या सहारनपुर हिंसा या फिर रोहित वेमुला की मौत हर मामले में केन्द्र सरकार पर विपक्ष हमलावर रहा है।
1- रोहित वेमुला मामला
17 जनवरी 2016 को हैदराबाद के केन्द्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में बताया गया था कि विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने नवंबर 2015 को रोहित वेमुला समेत 5 छात्रों को हॉस्टल से निलंबित कर दिया था। निलंबित हुए सभी छात्र दलित समुदाय के थे। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हुई इस कार्रवाई के बाद दलित छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले को लेकर लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक में सरकार को विपक्ष ने घेरा था। देशभर में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे।
2-हरियाणा में दलित परिवार को जलाने का मामला
दलितों के उत्पीडन के बड़े मामलों में हरियाणा के फरीदाबाद का सुनपेड गांव में एक दलित परिवार को जिंदा जला दिया गया था। इस मामले में दो बच्चों की मौत के साथ कई लोग गंभीर तौर पर घायल हुए थे। बताया जाता है कि इस गांव की तकरीबन 20 फीसदी आबादी दलितों की है। बाकी 69 फीसदी आबादी सवर्ण परिवार की है। इस घटना में बताया गया कि किसी पुरानी रंजिश के चलते गांव के सवर्ण परिवार के लोगों ने दलितों पर हमला बोल दिया। घर के अंदर घुसकर पेट्रोल छिड़ककर पूरे परिवार को जिंदा जला दिया था।
3-ऊना दलित प्रकरण
गुजरात के ऊना में दलितों के पीटने की घटना का वीडियो वायरल हुआ था। इस मामले में पूरा देश शर्मसार हो गया था। 11 जुलाई 2016 के इस मामले में गौ रका समिति के नाम पर कुछ लोगों ने दलित युवकों को गाय की चमडी निकालने के मामले में पकड़ा और फिर उनके साथ इंसानियत को शर्मसार करने वाली कार्रवाई की। ऊना कांड के बाद दलित समाज सड़क पर उतर गया था। इस आंदोलन की उपज ही जिग्नेश मेवाणी को बताया जा रहा है। इस आंदोलन में दलित समाज ने मृत गायों को उठाने से मना कर दिया था। इस मामले की गूंज संसद में भी जमकतर सुनाई दी थी। जिसके बाद मोदी सरकार बैकफुट पर आती दिखाई दी थी।
4-महाराष्ट्र में दलित-मराठा संघर्ष
बीते दिनों पूरा मुम्बई दलितों के आंदोलन के चलते अस्त-व्यस्त हो गया था। महाराष्ट्र के पुणे में भीमा-कोरेगांव की ऐतिहासिक लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर दलित समुदाय की ओर से आयोजित समारोह के दौरान कुछ संगठनों द्वारा हिंसक हमले किए गए। इस हमले में काफी संख्या में लोग हताहत हुए थे। कई लोगों की मौत भी हो गई थी। इस मामले को लेकर दलित नेता प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया था। इसको लेकर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे। लगातार विरोध प्रदर्शनों के चलते मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस को दलित नेता प्रकाश अंबेडकर से मुलाकात कर इस मामले को गंभीरता से देखने का आश्वासन दिया गया था। जिसके बाद ये आंदोलन समाप्त हुआ था।
5-सहारनपुर दलित आंदोलन और हिंसा
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालते ही सहारनपुर जातीय हिंसा की आग में धधक उठा था। बताया जा रहा था कि 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के दौरान आयोजित शोभायात्रा के निकालने को लेकर दो समुदायों में झड़पें हुई थीं। जिसकी आग आने वाले दिनों में धधक उठी जब 5 मई को महाराणा प्रताप जयंती के ठाकुर समुदाय की ओर से एक शोभायात्रा निकाली गई। दलित समुदाय ने विरोध किया तो ये विरोध हिंसा में तब्दील हो गया। इस मामले में पूरा सहारनपुर धधक उठा। सूबे की सरकार पर असक्षमता का आरोप लगने लगा। इस हिंसा के दौरान 17 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए। इस कांड का मास्टर माइंड दलित नेता चंद्रशेखर रावण फिलहाल जेल में बंद है।
6. मायावती ने दिया इस्तीफा सरकार पर लगाया आरोप
सहारनपुर मामले में संसद के उच्च सदन से अपनी आवाज दबाने और दलितों की उपेक्षा करने का केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए। बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने इस्तीफा तक दे दिया था। वो सहारनपुर मामले पर सरकार के द्वारा दलितों के उत्पीडन करने का आरोप लगा रही थीं। वो इस मामले में सरकार के खिलाफ संसद को बताया चाह रही थीं। लेकिन जब सदन में उनके भाषण के दौरान सरकार की ओर से हंगामा हुआ तो वो सदन छोड़कर चली गई। इसके बाद उन्होने इस्तीफा दे दिया।
अजस्रपीयूष शुक्ला