featured भारत खबर विशेष राज्य

जाने यस बैंक की अर्श से लेकर फर्श तक की पूरी कहानी, कैसे 0 तक पहुंचा यस बैंक

यस बैंक 1 जाने यस बैंक की अर्श से लेकर फर्श तक की पूरी कहानी, कैसे 0 तक पहुंचा यस बैंक

नई दिल्ली। एक वक्त था जब यस बैंक सफलता की उंचाईयों को छू रहा था। वो अब घाटे के पाताल में डूब गया है। लेकिन यस बैंक में जो भी हो रहा है वो अचानक नहीं हुआ है। बता दें किसाल 2004 में यस बैंक की शुरूआत राणा कपूर और यश कपूर ने मिल की थी। उसके बाद यस बैंक एक जाना पहचाना नाम बन गया। जून 2005 में बैंक का आईपीओ लॉन्च हुआ था अपने पहले ही वित्तवर्ष में बैंक का प्रॉफिट 55.3 करोड़ रूपये बढ़ गया। दिसंबर 2009 में यस बैंक को सबसे तेज ग्रोथ का अवॉर्ड मिला। 

बता दें कि इसके बाद साल जून 2013 में यस बैंक ने देशभर में 500 से ज्यादा ब्रांच का विस्तार करने का फैसला किया। मई 2014 में ग्लोबल क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के जरिए 500 मिलियन जूटाए। मार्च 2015 में यस बैंक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) यानी निफ्टी-50 में लिस्टेड हुआ। अप्रैल 2015 में यस बैंक ने अपना पहला इंटरनेशनल दफ्तर अबूधाबी में खोला साल 2017 में QIP के जरिए 4906 करोड़ रूपये जुटाए। जो निजि क्षेत्रों द्वारा जुटाई गई सबसे बड़ी रकम थी। 

यहां से बिगड़ा समीकरण

बता दें कि इसके बाद पिछले कई सालों में यस बैंक को झटके पर झटके  मिलने शुरू हो गए। सबसे पहला झटका आरबीआई की तरफ से तब लगा जब आरबीआई को यस बैंक के डूबे हुए कर्जे एनपीए और बैलेंस शीट में गड़बड़ियों की पता चल गया। इसका नतीजा ये हुआ की आरबीआई ने अक्टूबर 2018 को यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद से जबरन हटा दिया। ऐसी बैंकिंग इतिहास में पहली बार हुआ था।

जब किसी चेयरमेन को जबरन उसके पद से हटाया गया था। इसके बाद मार्च 2019 में आरबीआई ने यस बैंक पर एक करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया। आरबीाआई के अनुसार यस बैंक स्विफ्ट के नियमों का उलंघन कर रहा था। स्विफ्ट एक मैसेजिंग सोफ्टव्यर है जिसका इस्तेमाल हर वित्तीय कंपनी लेन देन के लिए कर करती है। अगस्त 2019 में इंटरनेशनल रैंकिंग एजेंसी मूडीज ने यस बैंक की रेटिंग घटाई और जंक श्रेणी में डाला जिसके बाद यस बैंक को पूजी जुटाना मुश्किल हो गया।

वहीं जिसके बाद बैंक का मार्केट कैप 8161 करोड़ रह गया। जबकि साल 2018 में यह 80,000 करोड़ रूपये था। इसके बाद मौजूदा वक्त में यस बैंक के शेयर का प्राइस 18 रूपये रह गया। जबकि साल 2018 में शेयर प्राइज करीब 400 रूपये था। जिसके बाद यस बैंक अगस्त 2019 में खराब प्रदर्शन के चलते टॉप -10 बैंकों में शुमार हो गया। इस तरह बैंकिंग सेक्टर का एक चमकता हुआ सितारा ब्लेक हॉल में समा गया। 

Related posts

प्रधान जी ने कोरोना वार्ड से ली पद की शपथ, जानिए कहां का है मामला

Aditya Mishra

ईवीएम मुद्दे पर बिखर गया विपक्ष, राजद और जदयू की अलग-अलग राय

kumari ashu

हल्द्वानी: एनडी तिवारी की जयंती पर कांग्रेस निकालेगी स्मृति यात्रा, कोरोना वॉरियर्स को किया जाएगा सम्मानित

Saurabh