नई दिल्ली। ‘गुड फ्राइडे’ को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिन ईसा मसीह ने बलिदान दिया था। कहा जाता है जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था उस दिन फ्राइडे था और तभी से इसे गुड फ्राइडे नाम से जाना जाता है।
प्रभु ईसा मसीह को शांति का दूत कहते है। ऐसा कहा जाता है उन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपनी जान दे दी थी। इसलिए इसे शोक के तौर पर दुनियाभर में मनाया जाता है और ये हर साल अप्रैल में पड़ता है। इस दिन लोग चर्च में यीशु के लिए सभा का आयोजन करते है और प्रार्थना करते है। इसके साथ ही कुछ लोग ईसा के बलिदान के लिए 40 दिन का उपवास भी रखते है जिसें लेंट भी कहा जाता है। इस दिन ईसा को मानने वाले उनके अनुयायी यीशु के उपदेशों और उनकी शिक्षाओं को याद करते है और उस पर अमल करने के लिए प्रेरित भी होते है।
तीन बाद फिर हुए थे जीवित:-
ईसाईयों की पवित्र पुस्तक बाइबिल में प्रभु ईसा मसीह के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इससे कहा गया है ईसा मसीह सूली पर लटकने के ठीक तीन दिन बाद दोबारा जीवित हुए थे इसलिए ईसाई लोग इस पूरे सप्ताह को पवित्र सप्ताह के तौर पर भी मनाते है। जिस दिन ईसा दोबारा जीवित हुए थे उस दिन रविवार था और इस दिन को ईस्टर संडे कहा जाता है।
इसलिए यहूदियों ने लटकाया था सूली पर:-
कहा जाता है कि 2000 साल पहले यीशु मसीह ने लोगों को सही राग दिखाने की पहल की थी जिसे यहूदियों ने पसंद नहीं किया। जिसकी वजह से उनका विरोध हुआ और इस बात की शिकायत रोमन गवर्नर पिलातुस से की। पितालुस ने यीशु को सूली पर चढ़ाने की सजा सुनाई। कहा जाता है कि लटकाए जाने पर पहले ईसा को अनेक तरह की यातनाएं दी गई थी। जिसमें सिर पर कांटो का ताज रखना और हाथों -पैरों पर कील ठोकना शामिल है।