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जानें अधिक नकदी रखना लाभदायक क्यों नहीं है ?

Fake note जानें अधिक नकदी रखना लाभदायक क्यों नहीं है ?

नई दिल्ली। ढेर सारी नकदी और बैंक के बचत खातों में एक बड़ी राशि रखना कोई लाभ का सौदा नहीं है। वर्तमान व भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक है कि धन का समुचित प्रबंधन किया जाए। एक बड़ी राशि नकद के रूप में घर में रखना या बचत खातों में ही इसे रखने से भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति संभव नहीं है, क्योंकि इसके साथ मिलने वाला ब्याज अक्सर समय के साथ बढ़ने वाली महंगाई दर के मुकाबले बहुत कम होता है। धन के समुचित प्रबंधन के संदर्भ में कई बातों पर बारीकी से गौर करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, एक निश्चित राशि की आवश्यकता निकट भविष्य में पड़ सकती है तो एक बड़ी राशि ऐसी भी होती है, जिनकी आवश्यकता बहुत बाद में पड़ सकती है। ऐसे में निकट भविष्य में जरूरत पड़ने वाली राशि को बचत खातों में रखा जा सकता है, पर शेष राशि को सरलता से एक्सेस होने वाले निवेश के रूप में रखा जा सकता है। इससे न केवल ऊंचे रिटर्न मिलेंगे, बल्कि यह बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज से कहीं अधिक होगा।

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धन के प्रबंधन के संबंध में किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले कई पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल, आपका धन आपके केवल नियमित होने वाले खर्च और जल्द आने वाले खर्च में ही आपकी मदद नहीं करता, बल्कि आपात स्थिति के दौरान चिकित्सा खर्च जैसी आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। इतना ही नहीं, आपका धन भविष्य की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए भी आवश्यक है, जिसमें बच्चों की उच्च शिक्षा और आपकी सेवानिवृत्ति के बाद के खर्च भी शामिल हैं।

चूंकि, महंगाई के कारण कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, इसलिए आपके धन को महंगाई की अपेक्षा कहीं अधिक तेजी से बढ़ने की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में आपको अपने भविष्य की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए पर्याप्त धन बचाने की आवश्यकता होगी। अब यह ध्यान देना आवश्यक है कि अपने धन के बड़े हिस्से को नकदी में अपने पास रखना अथवा बैंक के बचत खाते में रखना, जहां से आप पैसे को आसानी से निकाल सकें, कोई बहुत शानदार विचार नहीं है।

यदि एक परंपरागत बैंक चार प्रतिशत का वार्षिक ब्याज उपलब्ध कराता है और महंगाई दर अधिक है, जैसे कि यदि छह प्रतिशत वार्षिक है, तब आपके बचत खाते का धन प्रति वर्ष 1.88 प्रतिशत की दर से गिर रहा है। ऐसी स्थिति में रखी नकदी की हालत और भी बुरी होगी। इसमें तो मामूली ब्याज का भी इजाफा नहीं होगा, जैसा कि एक बचत खाते से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त वार्षिक बचत खातों के मामले में ब्याज 30 प्रतिशत की उच्चतम कर सीमा के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति के लिए 10,000 रुपये बढ़ जाएगी। इस प्रकार प्रभावी ब्याज 2.76 प्रतिशत हो जाएगी।

अब यदि निकट भविष्य में आवश्यक धन को बचत खाते अथवा आसानी से एक्सेसिबल लिक्विड निवेशों में रखा गया है, तब अतिरिक्त बचत खाता राशि को भविष्य की आवश्यकताओं के लिए उच्च वृद्धि के निवेशों में ज्यादा लाभ के लिए निवेशित किया जा सकता है। ये ऐसे निवेश होंगे, जो वार्षिक स्तर पर निश्चित रूप से दीर्घकालिक तौर पर 10 से 12 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगे। जिससे व्यक्ति समय के साथ संपन्न होता जाएगा।

यदि आप कुछ उन लोगों के समान धन को अपने पास जमा कर के नहीं रखते हैं, जैसा कि कुछ लोग करते रहते हैं, तब भी आप इसी समान लाभान्वित होंगे और अपने धन की यथास्थिति से बच जाएंगे। इसके अतिरिक्त इससे अप्रत्याशित स्थितियों में भी आप क्षति से बचे रहेंगे, जैसा कि सरकार द्वारा 1,000 रुपये एवं 500 रुपये के नोट बंद करने से उत्पन्न हुई है। इसलिए आप यह तर्क दे सकते हैं कि भारी मात्रा में अपने पास नकदी रखने वाला अथवा बचत खाते में उच्च राशि रखने वाला व्यक्ति मनी स्मार्ट पर्सन नहीं है।

बेशक अब प्रश्न यह उठता है कि एक व्यक्ति अपनी नकद राशि का किस प्रकार स्मार्ट इस्तेमाल करे, ताकि उसके पास सदैव समुचित मात्रा में नकदी उपलब्ध रहे और यह भी सुनिश्चित हो सके कि उसे आपात स्थिति एवं अन्य आवश्यकताओं के लिए आर्थिक रूप से कष्ट नहीं उठाना पड़े और न ही उच्च ब्याज पर कर्ज लेना पड़े। इसके अतिरिक्त यह भी आवश्यक है कि महंगाई के कारण एवं नकदी को अपने पास जमा रखने से होने वाले कर के क्षय से भी दीर्घ अवधि में नुकसान न उठाना पड़े। इस संदर्भ में यहां आपके समक्ष नगदी प्रबंधन के एक सरल और स्मार्ट तरीके को पेश किया जा रहा है।

आपके जीवन की शुरुआती अवस्था में लगभग तीन माह का खर्च आपातकालीन फंड के लिए पर्याप्त होना चाहिए। आप उच्च राशि भी अपने पास तैयार रख सकते हैं, यदि आप बीमार रहने वाले परिवार के किसी सदस्य के लिए मेडिकल इमरजेंसी जैसी आपात स्थिति का अनुमान लगाते हैं, जिसका स्वास्थ्य बीमा न हुआ हो। ऐसे प्रबंध की दरकार उस समय भी होती है, जब आपकी नौकरी सुरक्षित नहीं होती।

आपको अपने मासिक खर्च की पूरी व्यवस्था करने के साथ ही सरल रूप से निवेशित किए गए आसानी से प्राप्त हो सकने योग्य राशि की आवश्यकता है। आसानी से प्राप्त किए जाने वाले निवेशित धन को प्रमुख खर्चो में पूर्ण अथवा आंशिक रूप से किया जा सकता है, जैसे कि कार का डाउन पेमेंट। और बेशक धन के इस्तेमाल हो जाने के बाद आपको तुरंत इसकी भरपाई की तरफ भी ध्यान देना पड़ेगा।

ध्यान देने वाली एक प्रमुख बात यह है कि आपात स्थितियों के दौरान भी आपको पूरे धन की आवश्यकता एक बार में ही नहीं पड़ती है। यदि आप ऐसी किसी आवश्यकता का अनुमान लगाते हैं, तब आप के लिए ऐसे जोखिम को कवर करने के लिए बीमा खरीदना बेहतर रहेगा।

इस प्रकार आप निकट भविष्य में जल्द आवश्यक धन को रखने के अतिरिक्त शेष धन को लिक्विड फंड जैसे सरलता से प्राप्त होने वाले निवेश के लिए निर्धारित कर सकते हैं। वे न केवल उच्चस्तरीय रिटर्न प्रदान करेंगे, जैसा कि 30 सितंबर, 2016 तक की 10 वर्ष की अवधि में 7.84 प्रतिशत का ब्याज प्रदान किया गया है, बल्कि यह बैंक के बचत खाते पर प्राप्त होने वाले ब्याज की अपेक्षा कहीं अधिक कर-सक्षम साबित होगा।

स्पष्ट रूप से आर्थिक साधन का संतुलन वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन को सफलतापूर्वक प्रबंधित करने पर ही निर्भर करता है। और इसमें अन्य बातों के अतिरिक्त नकदी का स्मार्ट तरीके से प्रबंधन आवश्यक है, भारी मात्रा में नकदी को जमा करना अथवा बचत खाते में बड़ी राशि को बरकरार रखना समझदारी की बात कतई भी नहीं है।

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