देशभर की निगाहें जीएसटी बिल पर टिकी है। एक देश एक टैक्स का सपना पूरा होने वाला है। यह विधेयक पिछले साल लोकसभा से पारित हो चुका था और एक साल से राज्यसभा में लंबित पड़ा है। इसको लेकर कई दलों ने समर्थन देने का एलान किया तो सरकार ने रहात की सांस ली। इस बिल में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की दर 18 फीसदी रखे जाने की चर्चा है। अगर ऐसा हुआ तो जिन चीजों पर टैक्स की मौजूदा दर 18 फीसदी से ज्यादा है, वो टैक्स का बोझ घटने से सस्ती हो जाएंगी और जिन पर टैक्स 18 फीसदी से कम है, वो टैक्स बढ़ने की वजह से महंगी हो सकती हैं। लेकिन इससे देश की जनता को कितना फायदा मिलेगा यह जान लेना जरूरी है। इस बिल में 18 प्रतिशत टैक्स की दर को मानक पैमाना मान लिया गया है। लेकिन इस पर अभी बहस जारी है। इसमें कमी या बढ़ोतरी का फैसला अभी होना शेष है।
इस बिल को पास कराने में सबसे बड़ी बाधक कांग्रेस थी। कांग्रेस को इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्तियां थीं। जिसमें से कुछ आपत्तियों को सरकार ने मान ली है और इसमें परिवर्तन की बात कही है। इसलिए बिल पास होने की संभावना बढ़ गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि जीएसटी से देश की आर्थिक वृद्धि दर में दो प्रतिशत अंक का इजाफा होगा।
क्या है जीएसटी?
जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर भारत में बहुप्रतीक्षित विधेयक है, जिसमें एक अप्रैल 2016 से पूरे देश में एकसमान मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाने का प्रस्ताव है। इस कर को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कहा गया है। ये अप्रत्यक्ष कर होगा जो पूरे देश में निर्मित उत्पादों और सेवाओं के विक्रय और उपयोग पर लागू होगा।
जीएसटी अप्रत्यक्ष कर सुधार योजना है। इसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बांध कर रखना है। यह पूरे भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला एकल राष्ट्रीय एकसमान कर है।
अभी की बात करें तो भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत विभिन्न स्तरों पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा टैक्स लगाया जाता है। जैसे आबकारी कर, चुंगी, केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) और वैल्यू एडेड टैक्स आदि। जीएसटी में ये सभी कर एक एकल शासन के तहत सम्मिलित हो जायेंगे।
जीएसटी बिल में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं:-
1.जिसके तहत 1 फीसदी इंटरस्टेट ट्रांजेक्शन टैक्स हटाया गया है। मूल विधेयक में राज्यों के बीच व्यापार पर 3 साल तक 1 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगना था।
2.बदलाव के बाद अब राज्यों को 5 साल तक 100 फीसदी नुकसान की भरपाई की जाएगी पहले 3 साल तक 100 फीसदी, चौथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी भरपाई का प्रावधान था।
3.विवाद सुलझाने के लिए नई व्यवस्था की गई है, जिसमें राज्यों की आवाज बुलंद होगी। पहले विवाद सुलझाने की व्यवस्था मतदान आधारित थी, जिसमें दो-तिहाई वोट राज्यों के और एक तिहाई केंद्र के पास थे।
4.विधेयक में जीएसटी के मूल सिद्धांत को परिभाषित करने वाला एक नया प्रावधान जोड़ा जाएगा, जिसमें राज्यों और आम लोगों को नुकसान नहीं होने का भरोसा दिलाया जाएगा।
क्या होंगे इसके फायदे?
-संविधान के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारें अपने हिसाब से वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगा सकती हैं।
-अगर कोई कंपनी या कारखाना एक राज्य में अपने उत्पाद बनाकर दूसरे राज्य में बेचता है तो उसे कई तरह के टैक्स दोनों राज्यों को चुकाने होते हैं जिससे उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है। जीएसटी लागू होने से उत्पादों की कीमत कम होगी।
-नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी लागू होने से देश की जीडीपी में एक से पौने दो फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
किन उत्पादों पर लागू होगा जीएसटी?
-2014 में पास संविधान के 122वें संशोधन के मुताबिक जीएसटी सभी तरह की सेवाओं और वस्तुओं/उत्पादों पर लागू होगा। सिर्फ अल्कोहल यानी शराब इस टैक्स से बाहर होगी। हालांकि पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और रसोई गैस को भी फिलहाल जीएसटी से बाहर ऱखने का फैसला किया गया है।
कैसे काम करेगा जीएसटी?
-जीएसटी में तीन अंग होंगे – केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी।
-केंद्रीय और इंटीग्रेटेड जीएसटी केंद्र लागू करेगा जबकि राज्य जीएसटी राज्य सरकारें लागू करेंगी।
अगर जीएसटी भी वैट की तरह है तो फिर इसकी जरूरत क्यों?
-हालांकि जीएसटी भी वैट जैसा ही टैक्स है, लेकिन इसके लागू होने से कई और तरह के टैक्स नहीं लगेंगे।
-इतना ही नहीं जीएसटी लागू होने से अभी लगने वाले वैट और सेनवेट दोनों खत्म हो जाएंगे।
किसी भी राज्य में सामान का एक दाम
-जीएसटी लागू होने से सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को होगा। पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी। जैसे कोई कार अगर आप दिल्ली में खरीदते हैं तो उसकी कीमत अलग होती है, वहीं किसी और राज्य में उसी कार को खरीदने के लिए अलग कीमत चुकानी पड़ती है। इसके लागू होने से कोई भी सामान किसी भी राज्य में एक ही रेट पर मिलेगा।
कम होगी सामान की कीमत
-इसके लागू होने से टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा जिससे काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे। इसके लागू होने के बाद राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स आदि भी खत्म हो जाएंगे। फिलहाल जो सामान खरीदते समय लोगों को उस पर 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है वो भी घटकर 20-25 प्रतिशत पर आ जाने की संभावना है।
-जीएसटी लागू होने पर कंपनियों और व्यापारियों को भी फायदा होगा। सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। जब सामान बनाने की लागत घटेगी तो इससे सामान सस्ता भी होगा।
किसको होगा नुकसान
-जीएसटी लागू होने से केंद्र को तो फायदा होगा लेकिन राज्यों को इस बात का डर था कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले पाएंगे जिससे उनकी कमाई कम हो जाएगी। गौरतलब है कि पेट्रोल व डीजल से तो कई राज्यों का आधा बजट चलता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें। राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अगर जीएसटी लागू होता है तो विसंगतियों को दूर करके कर प्रशासन को अत्यंत सरल बना देगा। केंद्र और राज्य वस्तुओं और सेवाओं पर निर्धारित और एक समान टैक्स लगा सकेंगे। कर विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा एक प्रतिशत के अतिरिक्त अंतरराज्यीय कर को हटाने के प्रस्ताव से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुगम होगा और इसके लिए उपजा भ्रम समाप्त होगा।
जानिए जीएसटी लागू होने से फायदा
इससे टैक्स चोरी में कमी आएगी और टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा। टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा और असमानता नहीं होगी। टैक्स विवाद में भी कमी आएगी। ढेरों टैक्स कानून और रेग्युलेटरों का झंझट नहीं होगा। सब कुछ ऑनलाइन होगा। जीएसटी के बाद पूरे देश में एक रेट पर टैक्स लगेगा। कई तरह के टैक्स खत्म हो जाएंगे, सब जीएसटी के अंतर्गत आएंगे।
किस बात पर है भ्रम
राज्य इस बात पर चिंता कर रहे हैं कि टैक्स स्लैब क्या होगा, राज्यों को जो नुकसान होगा उसकी भरपाई कौन करेगा। टैक्स रेट क्या होगा क्योंकि सारे अधिकार फिर केंद्र के पास होंगे।
साल 2010 से होना था जीएसटी लागू
जीएसटी को पूर्व कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने सबसे पहले पेश किया था। साल 2006-07 के आम बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि सरकार 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। राज्यों के वित्त मंत्रियों के उच्चाधिकार प्राप्त समिति को जीएसटी का मॉडल और उसे लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है।
(गंगेश कुमार ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार)