नई दिल्ली: हर साल सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। मगर, इसे मनाया क्यों जाता है… यह कम ही लोग जानते होंगे। आइए आज हम आपको बताते हैं इसके बारे में…
वर्ष 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना हुई थी, जिसका लक्ष्य वैश्विक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श करते हुए दुनियाभर में जागरुकता फैलाना है। उसी समय से डब्ल्यूएचओ के स्थापना (7 अप्रैल) के दिन को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम
विश्व स्वास्थ्य दिवस की वर्ष 2021 की थीम है- “Building a fairer, healthier world for everyone” (एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण). वहीं, कोरोना महामारी के संकट के समय विश्व स्वास्थ्य दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है। क्योंकि, वैक्सीन के अभाव में पूरी दुनिया की सरकारों ने विभिन्न माध्यमों से इस महामारी से बचाव के तरीके बताए हैं, जिनमें मास्क, फिजिकल डिस्टेंन्सिंग, सैनिटाइजेशन आदि तरीके शामिल हैं।
विश्व स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य
यह दिवस पिछले 71 सालों से वैश्विक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श करते हुए दुनियाभर में समान स्वास्थ्य संबंधी देखभाल व सुविधाओं के बारे में जागरुकता फैलाने के साथ ही अफवाहों और मिथकों को दूर कर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने का संदेश देने के लिए मनाया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत
वर्ष 1948 में डबल्यूएचओ की जिनेवा में हुई प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा में हर वर्ष सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया, जिस पर अमल करते हुए वर्ष 1950 में पूरे विश्व में पहली बार इस दिवस को मनाया गया।
WHO के बारे में
- अंतर-सरकारी संगठन डबल्यूएचओ संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है, जो सामान्यत: अपने सदस्य राष्ट्रों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के सहयोग से कार्य करती है।
- वर्तमान में डब्ल्यूएचओ के 150 देशों में कार्यालय और 6 क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ 194 सदस्य देश हैं।
- इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैण्ड के जिनेवा शहर में स्थित है।
- वर्तमान में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक इथियोपिया के डॉ. टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस हैं, जो जो वर्ष 2017 से अफ्रीकी संघ के समर्थन से इस भूमिका में हैं।
WHO के प्रमुख कार्य
वैश्विक स्वास्थ्य मामलों का नेतृत्व करते हुए अनुसंधान संबंधी एजेंडे को आकार देना, विभिन्न मानदंड व मानक निर्धारित करना, साक्ष्य आधारित नीति विकल्पों को स्पष्ट करना और देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करते हुए स्वास्थ्य संबंधी रुझानों की निगरानी व मूल्यांकन करना शामिल है।