लखनऊ: गर्मी के मौसम में मानसून का इंतजार रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बारिश की फुहारें गर्मी से राहत देती हैं, लेकिन बरसात का सुहाना मौसम अपने साथ अनेक बीमारियां भी लाता है।
उत्तर प्रदेश में मानसून की शुरुआत हो गई है। इस मौसम में कालरा, पेचिस, दस्त, गैस्ट्रोइंट्राइटिस, फूड पॉयजनिंग, बदहजमी के साथ मलेरिया, वायरल फीवर, डेंगू, चिकुनगुनिया, कन्जेक्टवाइटिस, पीलिया, टाइफाइड बुखार, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फोड़े-फुंसी एवं अन्य अनेक रोगों के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। बारिश के मौसम में कुछ सावधानियां अपनाकर इसमें होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
बीमारियां और इलाज
बारिश के मौसम में पानी के प्रदूषित होने की संभावना ज्यादा होती है। इस मौसम में वैक्टीरिया एवं वायरस भी तेजी के साथ पनपते हैं। भोजन बहुत जल्दी प्रदूषित हो जाता है। प्रदूषित पानी एवं खाने-पीने की चीजों से कालरा, गस्ट्रोइंट्राइटिस, दस्त, पेचिस आदि गंभीर रोग हो सकते हैं। इससे बचाव के लिए साफ पानी पिएं और बासी भोजन, खुले एवं कटे फल, खुली चाट-पकौड़ी एवं भोजन आदि का प्रयोग न करें। बाजार के पैक्ड खाने-पीने वाली वस्तुओं से बचें। दस्त आदि होने पर तत्काल ओआरएस का घोल लेना शुरू कर दें।
बारिश के मौसम में गंदगी एवं जल-भराव के कारण मच्छर तेजी के साथ पनपते हैं, जिससे मलेरिया बुखार का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए आस-पास की साफ-सफाई पर ध्यान दें। आस-पास पानी इकट्ठा न होने दें, जिससे मच्छर न पनप सकें। साथ ही मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए। इस मौसम में वायरल फीवर बहुत तेजी के साथ फैलता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, इसलिए इससे बचने के लिए रोगी व्यक्ति से संपर्क नहीं रखना चाहिए।
डेंगू बुखार से बचाव
बारिश के मौसम में डेंगू फैलने की संभावना ज्यादा रहती है। डेंगू बुखार वायरल बुखार है, जो मानसून के दौरान मादा एडिज इजिप्टी नामक मच्छर द्वारा फैलता है। इसमें तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी आना, जोड़ों और मांसपेसियों में ऐंठन और अकड़न, त्वचा पर चक्कते उभरना, शारीरिक कमजोरी एवं थकान आदि के लक्षण होते हैं। यह लक्षण पाये जाने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इससे बचाव के लिए घर के गमलों को अच्छी तरह से साफ करें। घर में पानी न इकट्ठा होने दें, जिससे मच्छर न पनप सकें। शरीर पर पूरे कपड़े पहने।
इस मौसम में चिकुनगुनिया बुखार भी काफी फैलता है। इसका वायरस भी एडिज मच्छर की एक प्रजाति द्वारा फैलता है। इसमें तेज बुखार जोड़ों में अकड़न तेज दर्द, यहां तक की चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। यह दर्द काफी दिन तक रहता है। इससे बचाव के लिए भी मच्छरों से बचाव जरूरी है। भीड़-भाड़ वाले इलाके से बचना चाहिए। इस मौसम में पानी में सालमोनेला टाइफी वैक्टीरिया का संक्रमण हो जाता है, जिसके कारण टाइफाइड बुखार हो जाता है। इससे बचाव के लिए पानी उबालकर पीना चाहिए और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बाहर के खाने से परहेज करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को खुले में शौच नहीं करना चाहिए।
पीलिया से बचाव
बारिश के मौसम में पीलिया का खतरा बढ़ जाता है। यह हीपेटाइटिस वायरस के संक्रमण के कारण होता है। यह संक्रमण भी प्रदूषित भोजन एवं पानी, फल एवं पेय पदार्थी के कारण फैलता है। इससे बचने के लिए बाजार के खुले भोजन, कटे फल, प्रदूषित पेय पदार्थों से बचना चाहिए। इस मौसम में अपच, बदहजमी, गैस, खट्टी डकारें आदि की समस्या हो जाती है, क्योंकि शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है। साथ ही गरिष्ठ भोजन का प्रयोग बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए शारीरिक सक्रियता बनाये रखें और साथ ही हल्का व सुपाच्य भोजन करें।
आंखों के दर्द और जलन से बचाव
बारिश के उमस एवं गंदगी भरे मौसम में बैक्टरिया, पैरासाइट, फंगस आदि त्वचा को संक्रमित कर देते हैं, जिसके कारण फोडे-फुंसी, खुजली, दाद, फफोले, घमौरी, विषैले फोडे आदि की संभावना ज्यादा रहती है। इससे बचने के लिए गंदे एवं प्रदूषित पानी से बचना चाहिए एवं साफ-सफाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए। इस मौसम में नेत्र प्रदाह (कन्जेक्टवाइटिस) ज्यादा तेजी के साथ फैलता है। इसमें आखों में जलन, दर्द, आखों का लाल होना, कीचड़ आना एवं आखों से पानी आने की समस्या हो जाती है। इससे बचने के लिए पीड़ित रोगी से व्यक्तिगत संपर्क एवं उसके कपड़ों जैसे रुमाल, तौलिया के प्रयोग एवं हाथ मिलाने से बचना चाहिए। तेज धूप से बचना चाहिए। आखों को ठंडे पानी से बार-बार धोना चाहिए।
बारिश के मौसम में सर्दी-जुकाम, फ्लू आदि तेजी के साथ फैलता है। इससे बचने के लिए साफ-सफाई एवं व्यक्तिगत संपर्क से बचना चाहिए। बारिश के पानी से ज्यादा देर तक भीगने एवं भीगे कपड़े पहने रहने से बदन में दर्द आदि हो सकता है। इसलिए भीगने के तुरंत बाद शरीर पोछ लेना चाहिए और तत्काल सूखे कपड़े पहनने चाहिए। इस मौसम की ज्यादातर बीमारियां गन्दगी, संक्रमित भोजन एवं पानी के कारण फैलती है, इसलिए यदि हम गंदगी को दूर कर दें एवं प्रदूषित भोजन एवं पानी का प्रयोग न करें।
बारिश की बीमारियों का होम्योपैथिक इलाज
बारिश के मौसम में पानी उबालकर पीयें। पत्तेदार सब्जियों को खाने से बचें। इस मौसम में सलाद खाने से भी बचें। बारिस के मौसम में तला भुना, पकौड़े, मसालेदार चाट आदि खाने से बचना चाहिए। इस मौसम में सुपाच्य खाना खायें और कुछ अन्य सावधानियां अपना लें तो हमला करने से पहले बरसात की बीमारियों से बचा जा सकता है। यदि आपको बारिश की वजह से कोई बीमारी हो जाये तो तुरंत होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए क्योंकि बारिश की बीमारियों का होम्योपैथी द्वारा उपचार पूरी तरह संभव है।
विशेष सूचना: यह लेख डॉ. अनुरुद्ध वर्मा, एमडी (होम्यो), लाइफ लाइन होम्यो क्लिनिक के द्वारा लिखा गया है।