लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण पर काबू होने की स्थिति के बीच राजनीतिक उठा-पटक भी जारी है। प्रदेश के सियासी गलियारों में एके शर्मा यानी अरविंद कुमार शर्मा के नाम के कयास और चर्चाएं तेजी से चल रही हैं।
कयास और चर्चाएं तेज हैं कि एमएलसी एके शर्मा को विधानसभा चुनाव से पहले उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है। 1988 बैच के गुजरात कैडर के आइएएस रहे एके शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत ही करीबी और विश्वासपात्र माना जाता है।
अरविंद कुमार शर्मा ने लंबे अरसे तक पीएम मोदी के साथ काम किया है। ऐसे में हमारे लिए यह जानना भी जरूरी है कि एके शर्मा प्रधानमंत्री के इतने घनिष्ठ विश्वासपात्र बने कैसे?
गुजरात दंगों से सुधार में अहम रोल
प्रधानमंत्री मोदी की गुडबुक में अपनी जगह मजबूत करने के लिए एके शर्मा ने हर जगह अहम रोल प्ले किया। बात चाहे भुज भूकंप में आपदा प्रबंधन की हो या फिर गुजरात में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ाने की, अरविंद कुमार शर्मा का रोल सबसे अहम रहा। बात इतनी सी ही नहीं है, कहा तो यह भी जाता है कि वर्ष 2014 में अमेरिका की एंबेसडर नैन्सी पावल को गांधीनगर लाने के पीछे भी एके शर्मा ने अहम रोल प्ले किया, जिसके बाद से गुजरात दंगों को लेकर बिगड़ी चीजें सही हुईं।
जब पिछले साल कोरोना महामारी की पहली लहर पीक पर थी तो लाखों उद्यम बंद हो गए थे और लाखों मजदूर सड़कों पर आ गए थे। इस सेक्टर को बचाने के लिए एके शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में बड़ा रोल प्ले किया। कहा जाता है कि अरविंद कुमार शर्मा को प्रधानमंत्री बनने के बाद खुद नरेंद्र मोदी गुजरात से दिल्ली ले गए, जहां उनको महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गईं।