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बैजनाथ की खूबसूरती से जुड़े अनसुनें किस्से..

bejnath 1 बैजनाथ की खूबसूरती से जुड़े अनसुनें किस्से..

कत्यूरी राजवंश की राजधानी कार्तिकेयपुर को आज बैजनाथ के नाम से जाना जाता है , कत्यूरी शासक गढ़वाल, कुमाऊँ और डोटी(नेपाल)तक फैले अपने विशाल राज्य को कार्तिकेयपुर से ही शासित किया करते थे । कत्यूरी राजा नरसिंह देव ने एक पुराने शहर करवीरपुर के अवशेषों पर कार्तिकेयपुर की नींव लगभग 7वीं शताब्दी में रखी थी और कार्तिकेयपुर 13वीं शताब्दी तक कत्यूर वंश की राजधानी रही । नेपाली आक्रमणकारी क्रंचनदेव ने 1191 ई॰ में कत्यूरीयों को पराजित कर दिया था और इस आक्रमण से कत्यूरी राजवंश 8 अलग-अलग रियासतों में बँट गया था परन्तु बावजूद इसके कत्यूरीयों ने कार्तिकेयरपुर को नहीं छोड़ा और यहाँ पर 1565 ई॰ तक कत्यूरीयों का ही शासन रहा । 1565 ई॰ में चंद वंशी कल्याण चंद ने कार्तिकेयपुर पर विजय प्राप्त कर इसे अपने राज्य में मिला लिया ।

bej 2 बैजनाथ की खूबसूरती से जुड़े अनसुनें किस्से..
आज कार्तिकेयपुर को हम लोग बैजनाथ के रूप में पहचानते हैं और इसके गोमती नदी के किनारे पर स्थित प्राचीन मंदिरों के समूह विश्व विख्यात हैं , भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इन मंदिरों के समूह को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में मान्यता प्रदान की है ।बैजनाथ को भारत सरकार द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के तहत ‘शिव हैरिटेज सर्किट’ से जोड़े जाने की योजना भी है । बैजनाथ के मंदिर लगभग एक हज़ार वर्ष पुराने हैं , कहा जाता है कि ये मंदिर केवल एक रात में ही बना दिये गये थे ,बैजनाथ के मंदिर समूहों में भगवान शिव के अलावा गणेश जी, कुबेर, पार्वती, चण्डिका और सूर्यदेव के विशाल पाषाण शिलाओं से बनाये हुए मंदिर हैं ।

प्रशासनिक दृष्टि से बैजनाथ तहसील गरूड़ के अन्तर्गत आता है, गाँधी जी का स्विट्ज़रलैंड कौसानी यहाँ से मात्र 17 किलोमीटर दूर है , मुख्य बाज़ार गरूड़ भी मात्र 2 किलोमीटर दूर है । बैजनाथ जिस कत्यूर घाटी में पड़ता है उसकी ज़मीन अत्यन्त उपजाऊ है लिहाज़ा यहाँ ग्रामीण अच्छी खेतीबाड़ी और बाग़वानी भी कर लेते हैं , सच पूछा जाये तो हिन्दुस्तान की बेहतरीन घाटियों में कत्यूर घाटी का अपना अलग ही स्थान होगा , अमूमन लोग पहाड़ की चोटियों पर हिमालय के दर्शन प्राप्त करने जाते हैं परन्तु कत्यूर में घाटी से ही हिमालय के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं, गोमती और सरयू के संगम पर बसा ज़िला मुख्यालय बागेश्वर बैजनाथ से केवल 21 किलोमीटर दूर है जो कि भगवान शिव को समर्पित बागनाथ मंदिर के लिये जाना जाता है ।

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समुद्रतल तल से 1130 मीटर की उँचाई पर बसा बैजनाथ विख्यात पर्यटक स्थलों के केन्द्र में स्थित है , ग्वालदम, कौसानी और बागेश्वर यहाँ से केवल एक घंटे से भी कम दूरी पर स्थित हैं , शांत नैसर्गिक कत्यूर घाटी में बारहों महीने पर्यटन के लिये आया जा सकता है , प्रवास के लिये यहाँ पर छोटे होटल ,गेस्ट हाऊस और होम स्टे उपलब्ध हैं । मुझे व्यक्तिगत तौर पर सर्दियों की खिली धूप में कत्यूर घाटी में पैदल भ्रमण से बेहतर कुछ नहीं लगता ,हरे-भरे गेहूं के खेतों के बीच से गुजरती हुई रोड पर , दूर सफ़ेद हिमालय के दर्शन करते हुए पैदल भ्रमण का आनन्द ही कुछ और है ।

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