देहरादून। पहाड़ पर सियासत गरम है सूबे मे चुनावी पारा अपने शबाब पर है लेकिन सूबे में सबसे बड़े सियासी झंझावत को जिस पार्टी ने झेलकर अपनी सत्ता बचाई थी वो पार्टी अब अपनों की सियासत में उलझती जा रही है। जी हां हम बात कांग्रेस की कर रहे हैं। टिकटों के बंटवारे के बाद सूबे में उठे सियासी भूचाल ने कांग्रेस के लिए एक बड़ा सिरदर्द दे दिया है। क्योंकि पार्टी के भीतर सियासत तो काफी पहले से हो रही थी लेकिन अब इस सियासत का शिकार किसी को बनाने के चक्कर में किसी को बनाकर पार्टी ने अपने पैरों पर कुठाराघात कर लिया है।
हरीश रावत और किशोर उपाध्याय के बीच 36 का आंकड़ा:-
सूत्रों के हवाले से कहा ये भी जा रहा है कि 2.5 साल के प्रदेश अध्यक्ष के र्कायकाल में कई बार कई समीकरणों पर किशोर उपाध्याय और मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच चला कोल्ड वॉर चलता रहा है।सीएम हरीश रावत किशोर उपाध्याय को अपने सामने एक बड़े कद में बढ़ते देख भी नही पा रहे थे। पिछला चुनाव हार चुके किशोर उपाध्याय पार्टी आलाकमान के रहमोकरम पर सूबे में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान संभाल रहे हैं। अब अगर किशोर को किसी ऐसी बगैर समीकरण की सीट से चुनावी ताल ठोंकने को कहा जाये तो वहां पर वो कुछ हासिल नही कर सकते हैं।
किशोर का सियासी कद खत्म करने की थी चाल:-
किशोर अभी तक टिहरी की सीट से अपना चुनावी दंगल लड़ते रहे हैं। ऐसे में एकाएक सीटों को बदला किशोर के लिए और पार्टी के लिए खासा रिस्क हो सकता है। क्योंकि जातिगत समीकरणों के लिहाज से पार्टी को सहसपुर से किशोर के सहारे लड़ने से खासा नुकसान होने की प्रवल सम्भावना दिख रही है। सर्वे में भी इसी बात का खुलासा हुआ था। लेकिन किशोर के दक और राजनीतिक बढ़त को खत्म करने यानी पार्टी के भीतर आपसी रंजिश में कांग्रेस ने सहसपुर सीट पर किशोर का दांव खेल दिया है। जिसके बाद पार्टी से बगावत पर पार्टी के बड़े ताकतवर नेता आर्येन्द्र शर्मा ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल कर नामांकन कर करारा जबाब दे दिया है।
आर्येन्द्र शर्मा ने बागी बन बिगाड़ा समीकरण:-
पहले भी कहा जा रहा था कि अगर किशोर को सहसपुर सीट पर उतारा गया तो सर्वे से लेकर हर समीकरण किशोर के खिलाफ है। उसके बाद भी पार्टी नेतृत्व ने किशोर के सहारे रण का बिगुल फूंक दिया है। लेकिन जब किशोर उपाध्याय अपने चुनावी रण का आगाज करने आये तो महज 300 लोगों की भीड़ उनके साथ चल रही थी। लेकिन जब आर्येन्द्र शर्मा ने अपना शंखनाद किया तो 6 000 की बड़ी भीड़ और 6 किलोमीटर के काफिले ने कांग्रेस आलाकमान की नींद उड़ा दी है। अब जहां कांग्रेस सूबे में चुनावी रण जीतने का सपना देख रही थी उसे अपनी गलती पर एहसास हो रहा है।
कांग्रेस के लिए ये महज एक सीट ही नहीं है आर्येन्द्र शर्मा की बगावत कांग्रेस का कई सीटों पर समीकरण खराब कर सकती है। इसके बाद से कांग्रेस को एक बार फिर एक बड़े राजनीतिक संकच से आने वाले भविष्य में गुजरना पड़ सकता है। फिलहाल सहसपुर सीट तो अब कांग्रेस को बचा पाना आसान ना होना।
(अजस्र पीयूष)