लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की आहट के बीच किसानों ने आंदोलन को तेज करने की रणनीति शुरू कर दी है। लखनऊ में तीन दर्जन किसान संगठनों ने एक साथ मीटिंग कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली है। इस महीने 26 और 27 अगस्त को सिंघु बॉर्डर पर होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में किसान बड़ी संख्या में जुटेंगे। उसके बाद दो सितंबर को संभल में किसान रैली की जाएगी। इसके अलावा पांच सितंबर को पूर्व निर्धारित आंदोलन के अनुसार मुजफ्फरनगर में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित किसान रैली को सफल बनाने की भी रणनीति तैयार की जाएगी।
लखनऊ के कैसरबाग में किसान समन्वय समिति यूपी ने बैठक की है। जिसमें प्रदेश के लगभग तीन दर्जन किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है। इन प्रतिनिधियों ने यूपी में किसान आंदोलन के विस्तार को लेकर चर्चा की। साथ ही आंदोलन के प्रमुख बिन्दुओं को चिन्हित किया। जौनपुर, गाजीपुर, वाराणसी, तिलहर (शाहजहांपुर), आजमगढ़, बलिया, प्रतापगढ़, सीतापुर, फरूखाबाद, अलीगढ़, मथुरा और बुंदेलखंड में किसान पंचायतें व किसान रैलियां आयोजित की जाएंगी। अक्टूबर अंत तक लखनऊ में एक राज्य स्तरीय किसान पंचायत आयोजित की जाएगी। टोल फ्री आंदोलन और इन किसान पंचायतों/रैलियों की तारीखें संयुक्त किसान मोर्चे के साथ तालमेल कर जल्द ही घोषित की जाएंगी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और एआइकेएस के महासचिव अतुल कुमार “अनजान” ने कहा कि सरकार हठधर्मिता पर अड़ी है। उन्होंने आंदोलन के विस्तार की रूपरेखा और मुद्दों पर विस्तार से बात रखी। बैठक में जय प्रकाश राय, कामरेड भारत सिंह, कामरेड इम्तियाज वेग, कामरेड आशीष मित्तल, तेजेन्द्र विर्क, चौधरी हरपाल विलारी, ऋचा सिंह, ललित त्यागी ने भी किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेरा।
इन मांगों को लेकर करेंगे आंदोलन
- तीनों कृषि कानूनों की वापसी हो
- एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए
- नया बिजली बिल और नया प्रदूषण बिल वापस लिया जाए
- किसानों के गन्ने का ब्याज सहित लगभग 20 हजार करोड़ का भुगतान तत्काल किया जाए
- चार साल में बढ़ी लागत और महंगाई के अनुसार गन्ने का रेट बढ़ाया जाए
- यूपी में बिजली के रेट करने और किसानों को हरियाणा की तर्ज पर नलकूप के लिए बिजली के रेट लगाने की मांग
- किसानों, ग्रामीण मजदूरों को कर्जमुक्त करने की मांग
- बंटाईदार किसानों को प्रमाणपत्र देने और बंटाईदारों और खेत मजदूरों को भी बैंकों से क्रेडिट कार्ड दिया जाए
- मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी दी जाए
- प्रदेश में नहरों से गाद की सफाई और सीपेज रोकने व्यवस्था तत्काल लागू हो
- बाढ़ व सूखा समेत अन्य प्राकृतिक आपदाओं, जंगली व आवारा पशुओं से फसलों को हो रहे नुकसान पर 30 हजार रुपया प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए
- राज्य में नौकरियों में आरक्षण के नियमों की अनदेखी को दूर करने और सभी रिक्त पदों भरे जाने की मांग के साथ कोरोनाकाल में बेरोजगार हुए नौजवानों के सर्वे कर गुजारा भत्ता देने की मांग
- कोरोना से हुई सभी मौतों का सर्वे कर उन्हें कोरोना मृतक प्रमाणपत्र और परिजनों को चार लाख का मुआवजा दिए जाने की मांग
- प्रदेश में जनांदोलनों के कारण गिरफ्तार सभी कार्यकर्ताओं को रिहा करने और आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी फर्जी मुकदमे वापस लेने की मांग
इन किसान संगठनों से प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा
बैठक में एआईकेए से ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, एआईकेएस से राजेन्द्र यादव, उत्तर प्रदेश किसान सभा (एआईकेएस) मुकुट सिंह, बीकेयू से असली प्रवल प्रताप शाही, जेकेएस से रजनीश भारती, बीकेय समाज से लाल सिंह, बीकेएसजेयू से कमलेश यादव, बीकेयूकेएस से पवन कश्यप, एमकेएम से बृज बिहारी, आरएम से राजीव यादव, किसान फ्रंट इंकलाबी मजदूर केंद्र से रोहित, समाजवादी जन परिषद से अफलातून देशाई, जय किसान आंदोलन से मानवेन्द्र वर्मा समेत दर्जनों लोग शामिल हुए।