दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी का वो अनसुना किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसे शायद धोनी का हर फैन जरूर पढ़ना चाहेगा। भारत के सबसे सफल कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया की जर्सी पहनने से पहले घरेलू क्रिकेट में धमाल मचा रहे थे। इसके बावजूद उन्हें टीम इंडिया में शामिल होने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। धोनी की टीम में एंट्री कैसे हुई ये कहानी काफी दिलचस्प है। चलिए बताते हैं।
माही का शानदार प्रदर्शन
दरअसल कैप्टन कूल धोनी ने जिस दौर में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था उस वक्त दीप दासगुप्ता, पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक जैसे विकेटकीपर टीम इंडिया में दस्तक दे चुके थे। हालांकि इन सबमें से टीम में कोई भी अपनी जगह पक्की नहीं कर पाया। क्योंकि इसके पीछे माही का शानदार प्रदर्शन बड़ी वजह है।
‘धोनी को पाकर खत्म हुई खोज’
दरअसल उस दौर में टीम इंडिया को एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी जो तेजी से रन भी बना सके, एक पावर-हिटर बल्लेबाज हो जो छठे-सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए टीम के लिए 40 से 50 रन जोड़ सके। और ये खोज महेंद्र सिंह धोनी को पाकर खत्म हुई। पूर्व चीफ सिलेक्टर किरण मोरे ने दावा किया कि उन्होंने धोनी की खोज की। यही नहीं उन्होंने धोनी को टीम में शामिल करने के लिए 10 दिन तक पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को मनाया था।
‘पावर हिटर, विकेटकीपर की तलाश थी’
हाल ही में एक इंटरव्यू में किरण मोरे ने कहा कि उस समय हमें एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी जो बल्लेबाजी भी कर सके और राहुल द्रविड़ की जगह ले सके। और हमारी तलाश धोनी पर जाकर खत्म हुई। मोरे ने 2004 के दिलीप ट्रॉफी के फाइनल का किस्सा याद करते हुए कहा कि हम चाहते थे कि फाइनल में बतौर विकेटकीपर धोनी खेलें।
इसके बाद सौरव गांगुली और दीपदास गुप्ता से मेरी बहस भी हुई। फिर मुझे सौरव और चयनकर्ताओं को फाइनल में दीपदास गुप्ता से विकेटकीपिंग ना कराने और एमएस धोनी को विकेटकीपिंग करने देने के लिए समझाने में 10 दिन लगे।
‘धोनी ने सभी गेंदबाजों को धोया’
किरण मोरे ने कहा कि धोनी ने नॉर्थ जोन के सभी गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाए। जिसमें आशीष नेहरा भी शामिल थे। इसके बाद हमने उन्हें इंडिया-ए के साथ केन्या भेजा, जहां उन्होंने ट्राई सीरीज में लगभग 600 रन बनाए और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।