नई दिल्ली। राम मंदिर के मुद्दे पर गरमा जाने वाली सियायत के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने अयोध्या विवाद पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इसका समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने आजादी के बाद पूर्ण धर्मनिरपेक्षता के रास्ते को चुना था, लेकिन अब लगता है कि हम धर्मनिरपेक्षता के रास्ते को भूल गए है और अब जैसे को तैसा देने वाला दौर सा निकल पड़ा है। इसके अलावा उन्होंने नोटबंदी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। लाल बहादुर शास्त्री पर व्याख्यान देते हुए खेहर ने कहा कि सबसे बड़ी हिंसा तो तब हुई जब देश आजाद हुआ, ऐसे क्रूरता सामने आई, जिसे पीढ़ियां नहीं भूल सकती।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस्लामिक देश बना, लेकिन भारत ने धर्मनिरपेक्ष रहना पसंद किया। उन्होंने कहा कि भारत के नेताओं ने सुनिश्चित किया कि देश में पूर्ण धर्मनिरपेक्षता होनी चाहिए। उन्होंने याद दिलाया की बतौर चीफ जस्टिस रहते हुए उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों को अयोध्या विवाद का सौंहार्दपूर्ण हल ढूंढ़ने में मदद की पेशकश की थी, लेकिन मेरी इस अपील के बाद भी ये मुद्दा जस का तस अटका हुआ है और रोज इस मामले में नए-नए विवाद खड़े हो रहे हैं। खेहर ने कहा कि जरा सोचिए भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वो वैश्विक ताकत बनना चाह रहा है।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि अगर किसी देश को वैश्विक ताकत बनना है तो क्या वो विश्व में सांप्रदायिक रह सकता है। खेहर ने कहा कि अगर आप इस्लामिक विश्व में मुसलमानों का दोस्त बनना चाहते हैं तो आप मुस्लिम विरोधी नहीं हो सकते। अगर आप ईसाइयों से दोस्ती करना चाहते हैं तो आप ईसाई विरोधी नहीं हो सकते। आजकल जो कुछ हो रहा है, वे इस देश के हित में नहीं है। उन्होंने अयोध्या समेत सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की और कहा कि कोई भी मुद्दा युद्ध के जरिए नहीं सुलझ सकता।