नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल की सरकार जिस दिन से दिल्ली प्रदेश की सत्ता में आई है उस दिन से ही नए-नए विवादों में फंस रही है। ताजा मामला दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में फर्जी श्रमिकों के पंजीकरण के मामले को लेकर है, जिसमे दिल्ली सरकार फंसती हुई नजर आ रही है। इसकी जांच के दायरे में केजरीवाल सरकार का आना तय माना जा रहा है। बता दें कि पिछले तीन साल से दिल्ली प्रदेश की सत्ता पर काबिज केजरीवाल सरकार पर कंस्ट्रक्शन लेबर फंड में 139 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा है।
सरकार के खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा गया है कि सरकार के श्रम मंत्रालय ने कई कामकाजी लोगों को भी अवैध तरीके से दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण करा दिया,जबकि किसी भी कंपनी बनाने वालों व चालक आदि की नौकरी करने वालों का वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है। आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार ने अपना वोट बैंक बचाने के लिए नियमों का दरकिनार कर ऐसा कदम उठाया गया।
दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष की शिकायत पर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के खिलाफ छह धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। तीन हफ्ते पहले दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष व मजदूर नेता सुखबीर शर्मा ने भी एसीबी में शिकायत कर आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार ने कंस्ट्रक्शन लेबर फंड में 139 करोड़ का घोटाला किया है। एफआइआर में 139 करोड़ रुपये के घोटाले की बात कही गई है। एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने केस दर्ज करने की पुष्टि की है।
एसीबी ने मुकदमा दर्ज करने से पहले जांच की तो उसे ऐसे कई कामकाजी लोग मिले जिनका सरकार ने अवैध तरीके से बोर्ड में पंजीकरण करवाया था। इनमें कई ऑटो चालक व कई बुटिक में काम करने वाले लोग थे। नियमत: कोई भी काम करने पर बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है। बता दें कि 2002 में दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड का गठन किया गया था। बोर्ड के गठन का उद्देश्य ये था कि उसमें ऐसे नए लोगों का पंजीकरण किया जाए जो कहीं काम न कर रहे हों। कंस्ट्रक्शन या अन्य साइटों पर काम करने वाले मजदूरों का बोर्ड में पंजीकरण करने का प्रावधान है।
पंजीकरण के बाद 17 तरह की सुविधाएं देने का प्रावधान दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण होने पर सरकार की तरफ से मजदूरों को 17 तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। बच्चों की पढ़ाई, मजदूरों की पत्नी व महिला कर्मियों के गर्भवती होने पर मातृत्व मद व शादी आदि में पैसे दिए जाते हैं। मजदूरों को काफी सुविधाएं दी जाती है। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए कई लोगों को अवैध तरीके से बोर्ड में पंजीकरण कराया। शिकायत में कहा गया है कि मजदूरों को 17 मद में सुविधाएं दिए जाने के मामले में सरकार ने अधिकांश रकम गबन कर ली।