कल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले मे दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के अधिकारों का विश्लेष्ण किया, और उन दोंनो को एकजुट होकर काम करने को कहा। बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोंनो ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वागत किया और इसे अपनी अपनी जीत बताई। एक वक्त लगा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल का मामला अब सुलझ जाएगा और दोनो एक दूसरे की मदद करते हुए काम करेंगे , लेकिन ये मामला शांत होने का नाम नही ले रहा।
बुधवार को सेवा विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया ने सेवा विभाग के सचिव को दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग संबंधी नई व्यवस्था को लागू करने के आदेश दिए थे, जिसे सेवा विभाग के सचिव ने मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के पुराने आदेश और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त किए बिना किसी नए आदेश को नहीं मानेंगे।
अब मामला फिर से तुल पकड़ता नजर आ रहा है। ऐसा लग नही रहा कि उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सब ठीक है, या फिर ठीक होने की कोई संभावना है। देश के राजधानी मे ऐसा होना किसी भी रुप से सही नही है, इससे सिर्फ और सिर्फ जनता की परेशानी बढ़ेगी और विकास मे बाधा पड़ेगा। जरुरत है तो इस मामले को जल्द से जल्द निपटाने की ताकि दिल्ली फिर से काम पर लौट सके।