नई दिल्ली। करवाचौथ का त्योहार आज भरणी नक्षत्र में मनाया जाएगा, जो कि 7 बजकर 12 मिनट तक है। भरणी नक्षत्र का पहला निषिद्ध तत्व होती हैं खट्टी चीजें यानी की इस नक्षत्र में खट्टी चीजों को निषिद्ध करना चाहिए। भरणी नक्षत्र के उपरान्त यानी की 7 बजकर 12 मिनट के बाद कृतिका नक्षत्र का आगमन हो रहा है। इसका अर्थ है कि हमें खट्टे पर्दाथो का तो निषिद्ध करना ही चाहिए, इसके अलावा जितना भी निषिद्ध पर्दाथ है उनका भी सेवन नहीं करना चाहिए। भरणी और कृतिका नक्षत्र का मालिक सूर्य होता है,इसलिए सूर्य से जुड़ी जितनी भी चीजे होती है हमें उनका भी निषिद्ध करना चाहिए। यानी की गेहूं से बने सभी पर्दाथों और खट्टे पर्दाथो का सेवन नहीं करना चाहिए।
करवाचौथ के दिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए की पूजा के समय स्वास्तिक बनाए और उसके ऊपर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करे, क्योंकि ये पर्व दोनों नक्षत्रों के बीच का पर्व है। यहां ये बात ध्यान देने योग्य है कि भगवान गणेश की प्रतिमा को आटे से बनाया जाए। इसके अलावा स्वर्ण मुद्राओं को अपने शरीर से बनाए,यानी की अग्नि की मुद्रा जिसे उंगली से बनाया जा सकता है। सूर्य अनुसंशा में बैठते समय अपनी पीठ को स्टेट रखे। क्योंकि सूर्य की नाडी वहीं से स्थापित होती है।
साथ ही सूर्य फल यानी जो प्रातकाल के फल हैं वो सब सूर्य फल है। इन फलों का सेवन चांद निकलने के बाद किया जाए। चांद निकलने के बाद इन फलों का सेवन सूर्य के तहत किया जाए, यानी की एक दम स्टेट बैठकर करें। ध्यान रखे फलों का सेवन करते समय स्वास्तिक का निषेद्ध न हो, ना ही गणेश का निषेद हो और इसी के साथ स्वर्ण मुद्राओं का भी निषेद्ध न हो। साथ ही फलों का सेवन करते समय गले में स्वर्ण को धारण जरूर करें।
करवाचौथ के दिन गेहूं से बने किसी भी पर्दाथ का सेवन न करें, इसके अलावा किसी भी पर्दाथ का सेवन कर सकते है। चांदी और सोने के आभूषणों को पहना जाए और पूर्व दिशा में खड़े होकर चंद्रमा का दर्शन किया जाए। पैर में लकड़ी की चप्पल पहने, लकड़ी के अलावा किसी भी वस्तु को पैर में पहनना वर्जित है। गेहूं से बने पर्दाथों का करवाचौथ के दिन दान करें इसके अलावा किसी भी वस्तु का दान स्वीकार्य नहीं होगा। स्वर्ण रंग को माथे पर धारण करें,यानी की सर पर स्वर्ण रंग की चुन्नी ही रखे,इसके अतिरिक्त किसी भी रंग की वस्तु को सर पर रखना अशोभनिय होगा।
करवाचौथ भरणी और कृतिका नक्षत्र के मध्य में इस बार पड़ रहा है। इसलिए शुक्र और सूर्य से सम्बंधित सभी वस्तुओं का त्याग किया जाए। पूर्वी दिशा से चांद का दर्शन किया जाए और सूर्य से जुड़ी सभी चीजो का त्याग किया जाए। स्वर्ण से युक्त पर्दाथो का सेवन करें और उन्हें ही करवाचौथ के दिन धारण करे। जैसे सुनहरे रंग का वस्त्र, या चुन्नी या फिर सुनहरे रंग के किसी पर्दाथ का ही सेवन करे। चंद्रमा भरणी और सूर्य नक्षत्र से होकर गुजरेगा, इसलिए स्वर्ण रंग की चीजो का ही सेवन किया जाए और उन्हें पहना जाए। चांदी और लोहे की धातुओं को त्याग दे, और सूर्य से संबंधित पर्दाथों का भी त्याग किया जाए।
डॉ राजेश त्रिपाठी ( असिस्टेंट प्रोफेसर दिल्ली विश्व विद्यालय)