नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीया बच्ची के साथ सामूहिक बलातकार और हत्या के मामले में वकीलों द्वारा चार्जशीट दाखिल करने में बाधा उत्पन्न करने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के व्यवहार की आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की पृष्ठभूमि जो भी हो लेकिन आपका एक्शन गलत था। कोर्ट ने कहा कि आपको प्रैक्टिस करने का अधिकार है, न्याय में बाधा उत्पन्न करने का नहीं। इस मामले पर अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी।
सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि उन्होंने कठुआ मामले पर वकीलों के आंदोलन का समर्थन नहीं किया था। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि उसने जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में टीम का गठन किया है।तब सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को अपनी रिपोर्ट 24 अप्रैल तक दाखिल करने का निर्देश दिया। कठुआ बार एसोसिएशन ने कहा कि उसने 12 अप्रैल को हड़ताल वापस ले ली थी।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था और बार काउंसिल ऑफ इंडिया, जम्मू-कश्मीर बार काउंसिल, जम्मू हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और कठुआ बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को चेतावनी देते हुए कहा था कि न्याय की राह में बाधा उत्पन्न नहीं कर सकते हैं। हर पक्षकार को किसी को अपना वकील रखने का अधिकार है।
सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील शोएब आलम ने कहा था कि राज्य की पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है और पूरी जांच कर चार्जशीट दाखिल की है। वकीलों की हड़ताल की वजह से मजिस्ट्रेट के आवास पर चार्जशीट दाखिल की गई। उन्होंने कहा था कि राज्य पुलिस ने उन वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जिन्होंने पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने से रोका था।