लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू के चलते विद्यालय बंद थे, लेकिन छात्राओं के खाने के नाम पर नौ करोड़ रुपए निकाल लिए गए। मामला सामने आने पर शासन ने इस संबंध में बीएसए को जवाब तलब किया है।
दरअसल, प्रदेश में बालिकाओं को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें जो छात्राएं रहती हैं, उनके खाने, स्टेशनरी व साबुन-तेल जैसे अन्य जरूरी सामान के लिए शासन स्तर से बजट दिया जाता है।
18 जिलों में नौ करोड़ का घोटाला
मगर, कोरोना महामारी के कारण ये विद्यालय बंद हैं और छात्राएं अपने घर पर हैं। लेकिन प्रदेश के 18 जिलों में 11 फरवरी से 31 मार्च के बीच में छात्राओं के खाने, सामान व अन्य जरूरतों के लिए नौ करोड़ रुपये निकाल लिए गए। हालांकि, प्रेरणा पोर्टल पर विद्यालयों में छात्राओं की उपस्थिति की शून्य दर्शायी गई है।
इस पूरे मामला की जानकारी प्रेरणा पोर्टल से सामने आई और इसका खुलासा हुआ। अब यह मामला शासन तक पहुंच गया है और राज्य परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद ने इन जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) से जवाब मांगा है।
वाराणसी में भी अनियमितता
प्रेरणा पोर्टल पर छात्राओं की उपस्थिति शून्य होने के बावजूद खाने, मेडिकल केयर, कंटीजेंसी एवं स्टेशनरी मद में शत-प्रतिशत धनराशि का भुगतान किया गया है, जो कि वित्तीय अनियमितता में आता है। यहां तक यह अनियमितता प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी पाई गई है।
हालांकि, इस मामले में बीएसए राकेश सिंह का कहना है कि, छात्राओं की उपस्थिति पोर्टल पर न दर्ज करना बड़ी अनियमितता को दर्शाता है। वहीं, पिंडरा स्थित वार्डन का कहना है कि, 25 मार्च से अचानक विद्यालय बंद हो जाने के कारण पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज नहीं की गई।