भारतवर्ष में कार्तिक पूर्णिमा का का दिन दिन्दु धर्म में विशेष महत्व वाला है। मालूम हो कि इस पूर्णिमा के लोग गंगा स्नान, दीपदान, दान, भगवान की पूजा, आरती, हवन करते हैं।मान्यता है कि आज के दिन किसी भी धार्मिक कार्य करने से अपेक्षाकृत सौ गुना फल प्राप्त होता है। आज यानी कि 23 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है। इस दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही कार्तिक पूर्णिमा भी कहते है। इसको और भी दूसरे नामों त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है।
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दीपक का विशेष महत्व
माना जाता है कि कार्तिक महीने में दीपक का विशेष महत्व है। जैसा कि कहा जाता है कि दीपक रोशनी का प्रतीक है।जिससे सभी अंधकार दूर होता है। इसलिए इस दिन हिन्दू संस्कृति का केंद्र बनारस में देव दीपावली मनाते हैं। पौराणिक परंपरा के मुताबिक इस दिन गंगा में स्नान करने से जितना फल प्राप्त होता है।उतना पूरे साल स्नान करने में ही हो पाता है। इस पर्व में गंगा स्नान के बाद दीप दान का पुण्य-फल दस यज्ञों के बराबर होता है।
गंगा स्नान के बाद दान करना फलदायी
विद्वानों का मनना है कि इस दिन गंगा स्नान के बाद दान करना चाहिए। मौसमी, सेब आदि फलों, उड़द दाल, चावल और उजली चीजों का दान शुभ माना गया है।इस दिन का महत्व सिख धर्म में भी है।बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। नानक का जन्म संवत 1526 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ। सिख समुदाय के लोग इस दिन को प्रकाश उत्सव और गुरु पर्व के रुप में मनाते हैं।
नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु
मालूम हो कि नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु थे। गुरु पर्व सिखों का सबसे महत्वपू्र्ण पर्वों में से एक है।सिख धर्म के लोग नानक देव की जयंती के इस पावन मौके पर गुरु ग्रंथ साहिब में लिखे नानक देव की शिक्षाएं पढ़ते हैं। गुरु नानक देव की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस दिन प्रकाश उत्सव के दिन प्रभात फेरी निकाली जाती है जिसमें भारी संख्या में संगतें शिरकत करती हैं। इस दिन सभी गुरुद्वारे पर प्रकाश पर्व की रौनक दिखाई देती है। अमृतसर का गोल्डेन टेंपल में भी इस दिन रोशनियों का नायाब नजारा देखने लायक होता है।