नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम को शुक्रवार को किसी प्रकार की राहत नहीं मिली। कोर्ट उनके विदेश जाने की अर्जी पर 22 जनवरी को सुनवाई करेगी। कार्ति ने सुप्रीम कोर्ट से विदेश जाने की अनुमति मांगी है। साथ ही कोर्ट ने एयरसेल मैक्सिस डील मामले के आरोपी मोहन राजेश की 24 जनवरी से 5 फरवरी तक स्कॉटलैंड जाने की अर्जी पर सीबीआई से 22 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

वहीं इससे पहले 20 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति की अर्जी पर 02 से 11 दिसम्बर के बीच ब्रिटेन जाने की अनुमति दी थी। कार्ति चिदम्बरम ने पहले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उनकी ब्रिटेन यात्रा के दौरान एक ही बैंकिंग गतिविधि को अंजाम दिया गया था जो दो खातों से संबंधित था। यह बैंकिंग गतिविधि मेट्रो बैंक के एक खाता और उसके सब्सिडियरी खाते से जुड़ा था। कार्ति ने ये स्वीकार किया कि ये खाते उन्होंने 2016 में खोला था और इसे वर्ष 2008 के आईएनएक्स मीडिया डील केस से नहीं जोड़ा जा सकता है।
बता दें कि कार्ति के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि वे न्याय से भागने वाले नहीं हैं। वे विदेश में थे और अब भारत में लौट आए हैं। उनके पास विदेश में एक बैंक खाता और एक संपत्ति है। कार्ति ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया था कि उसका विदेश में एक खाता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि अगर उन्हें विदेश जाने की अनुमति दी गई तो वो विदेश के अपने खाते को बंद नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था कि उनके पिता के राजनीतिक विरोध की वजह से विदेशी बैंक उनके खातों की कड़ाई से जांच कर रहे हैं। उनका ब्रिटेन के मेट्रो बैंक में एक खाता है जो जून 2016 में खोला गया था, जबकि सीबीआई ने कहा था कि कार्ति ने अपने कई विदेशी खातों को बंद कर दिया।
साथ ही सीबीआई के मुताबिक जब लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था उसके पहले ही कार्ति विदेश गए और उन खातों में जमा पैसों को ट्रांसफर कर दिया। सीबीआई ने कहा था कि ये कार्ति के बयान से उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि विदेश में उनका एक ही खाता है। सीबीआई ने कहा था कि कार्ति चिदम्बरम के पिता पी चिदम्बरम जब वित्त मंत्री थे तब कार्तिके फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड से फाइल क्लियर करवाने के लिए सर्विस चार्ज वसूलते थे।