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कड़े विरोध के बीच टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है कर्नाटक सरकार  

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नई दिल्ली : कर्नाटक सरकार शनिवार को 18वीं सदी में मैसूर साम्राज्य के शासक रहे टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है। भाजपा और कई हिंदू संगठनों द्वारा दी गई विरोध प्रदर्शन की धमकी के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा के बीच टीपू जयंती मनाई गई। टीपू को ‘‘धार्मिक रूप से कट्टर’’ करार देते हुए भाजपा की प्रदेश इकाई ने जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार से टीपू जयंती नहीं मनाने को कहा था।

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एहतियात के तौर पर कर्नाटक के कई जिलों में निषेधाज्ञा लागू की गई है। अधिकारियों ने बताया कि न तो टीपू जयंती के समर्थन और न ही इसके विरोध में जुलूस निकालने की अनुमति दी जा रही है। कोडागू और चित्रदुर्ग जिलों, तटीय जिलों सहित अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं। इन इलाकों में स्थानीय लोग टीपू जयंती के विरोध में बताए जा रहे हैं।

बीते साल हो चुकी है हिंसा

आपको बता दें कि साल 2015 में जब पहली बार आधिकारिक तौर पर टीपू जयंती मनाई गई थी तो कोडागू जिले में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई थी। इस बार भी यहां टीपू जयंती होराटा समिति ने शनिवार को बंद बुलाया है।

कोडागू की पुलिस अधीक्षक सुमना डी पणेक्करा ने पत्रकारों को बताया कि अब तक हालात शांतिपूर्ण हैं और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि कोई अनहोनी न होने पाए। उन्होंने कहा कि किसी को भी दुकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कराने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

करीब 15,000 पुलिसकर्मी शहर में तैनात

बेंगलूर के पुलिस आयुक्त टी. सुनील कुमार ने कहा, ‘‘(बेंगलूर में) विधान सौध के आसपास करीब 500 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को तैनात किया गया है। शहर के अलग-अलग जोन के पुलिस उपायुक्त अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में सुरक्षा के प्रभार में रहेंगे। करीब 15,000 पुलिसकर्मी शहर की निगरानी करेंगे।’’

विधान सौध में टीपू जयंती उप-मुख्यमंत्री जी. परमेश्वर की मौजूदगी में मनाई जाएगी। मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी स्वास्थ्य कारणों से इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं रहेंगे। टीपू जयंती समारोह की सफलता की शुभकामनाएं देते हुए कुमारस्वामी ने शनिवार को एक बयान में कहा, ‘‘प्रशासन में टीपू द्वारा किए गए प्रगतिशील उपाय, नवोन्मेष को लेकर उनकी कोशिशें सराहनीय हैं।’’

उन्होंने कहा कि वह डॉक्टर की सलाह पर आराम कर रहे हैं। वह कार्यक्रम में हिस्सा लेने में अक्षम हैं। बयान में कहा गया, ‘‘इसका खास मतलब निकालना गैर-जरूरी है। यह भी सच्चाई से कोसों दूर है कि वह (मुख्यमंत्री) सत्ता गंवाने के डर से इसमें हिस्सा नहीं ले रहे।’’ कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार टीपू जयंती मनाई जा रही है।

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