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कर्नाटक चुनाव: चित्रदुर्गा में यहां शराब और पैसे के बल पर जीता जाता है चुनाव

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कर्नाटक में चित्रदुर्गा लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों पर चुनाव के दौरान ऐसी स्थिति होती है कि यहां पार्टी नहीं बल्कि उम्मीदवार और उसके साथ दारू व पैसा जमकर पानी की तरह बहाने वाला ही विजयी होता है। इसीलिए इन सीटों पर कभी भी किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा है। पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि इन सीटों पर कभी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तो कभी कांग्रेस या जनता दल (सेकुलर) या फिर निर्दलीयों ने समय-समय पर अपनी जीत दर्ज कराई है। इस लोकसभा सीट के क्षेत्रों में त्रिकोणीय चुनाव होता रहा है।
हालांकि इन क्षेत्रों में चुनावी मुद्दों की भरमार रहने के बावजूद भी क्षेत्र में अपना प्रभाव रखने वाला उम्मीदवार ही विजयी हुआ है। चित्रदुर्गा विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा अपर भद्रा प्रोजेक्ट का है जिसे चालू कराने को लेकर 40 साल से विरोध-प्रदर्शन जारी है| यह क्षेत्र सूखा प्रभावित क्षेत्र है। यहां सिंचाई के लिए पानी के साथ-साथ पीने के पानी की भी काफी दिक्कत है। फिलहाल यहां जी.एच.तिपारडी भाजपा के विधायक हैं| उसके पहले चुनाव में यहां से जनता दल (सेकुलर) के उम्मीदवार एस.के.वसवराजन ने तिपारडी को हराया था। इस विधानसभा सीट पर राज्य सरकार के विरुद्ध वाली पार्टी का उम्मीदवार ही विधायक रहता आया है। यह परंपरा बहुत पुरानी है।

 

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प्रतिकात्मक तस्वीर

 

क्षेत्र की दूसरी विधानसभा हिरयूर है जो वाणी विलास सागर डैम के कारण प्रसिद्ध है। इस डैम से चित्रदुर्गा, हिरयूर और चेल्लीकेरे के लोगों को पीने का पानी मिलता है। यह डैम मैसूर महाराज की पत्नी के नाम से है जो एक टूरिस्ट प्लेस भी है। चुनाव में यहां जातिवाद और पैसा खूब चलता है। इस क्षेत्र को दो भागों में बांटते हुए हिरयूर और धर्मपुरा को अलग-अलग तालुका बनाने की मांग काफी पुरानी है। चेल्लाकेरे विधानसभा को एक तरह से आयल सिटी कहा जाता है क्योंकि यहां पर काफी संख्या में आयल मिलें हैं। यहां भाभा एटामिक एनर्जी सेंटर के साथ ही कई महत्वपूर्ण संस्थान भी हैं। सूखा प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां भी पानी का मुद्दा अहम होता है। यहां चुनावों में पैसा और दारू जमकर चलता है। वोटर इसी से प्रभावित होते रहे हैं| ऐसा इलाके के जानकार लोग बताते हैं|

 

क्षेत्र की चौथी विधानसभा मोलकालमुरू है जहां फिलहाल भाजपा के तिप्पे स्वामी विधायक हैं। पहले ये बीएसआर कांग्रेस से चुनाव जीते थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए हैं। यह क्षेत्र सिल्क सारी के लिए प्रसिद्ध है। यहां 90 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति के हैं और सूखा प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां लोग रोजी-रोटी के लिए बेंगलुरू जाते हैं। इस क्षेत्र में रंगैयना दुर्गा जलाशय है जहां पानी नहीं होने के कारण काफी संघर्ष चलता है। इस सीट पर बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं का काफी प्रभाव है। होलैकेरे विधानसभा अनुसूचित जनजाति क्षेत्र है। यहां कांग्रेस के एच.आंजनैया विधायक हैं और सिद्धारमैया सरकार में मंत्री भी हैं। यह क्षेत्र कम सूखा प्रभावित है| यहां सुपारी का व्यापार होता है। इस क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति और लिंगायक की बहुतायत है, लेकिन लिंगायत जिसको सपोर्ट देता है वही विजयी होता है। इस सीट पर तरणाबाड़ू मठ के शिवमूर्ति शिवाचार्या स्वामी का बहुत प्रभाव है। मठ की तरफ जिस नाम पर वोट करने को बोला जाता है लोग उधर ही वोट करते हैं।

 

इसके अलावा होसादुर्गा विधानसभा सीट भी कांग्रेस के खाते में है| यहां से बी.जी.गोविन्दप्पा विधायक हैं। इस सीट पर भी मठों का प्रभाव रहता है। यहां 3 मठ हैं जिसमें भगीरथ पीठ, कुंचिटिगा महासंस्थान और कागीनेले महासंस्थान मठ शामिल है। इस क्षेत्र में अनार की पैदावार बहुत ज्यादा है जो दिल्ली, कलक्ता और मुंबई जैसे शहरों में बिकता है। इस सीट पर भी उम्मीदवार देखकर ही वोट पड़ता है। साथ ही, पैसा और दारू भी जमकर पानी की तरह बहाया जाता है। पावागढ़ा विधानसभा से जनता दल (सेकुलर) के वर्तमान में टिम्मारायाप्पा विधायक हैं। यह भी एक सूखा प्रभावित क्षेत्र हैं जहां पानी का मुद्दा गरमाया रहता है। इसके अलावा सिरा विधानसभा में वर्तमान में कांग्रेस से जयचंद्रा विधायक हैं। यहां जातिगत मतदान होता है| लिंगायत यहां ज्यादा हैं। जयचंद्रा ने वेदावती रिवर से मोदलुरू लेक को पानी लाया है। इसलिए जीता है और मंत्री भी बने।

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