बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार मुस्लिमों को अपने समुदाय के अधिकतम प्रत्याशी कांग्रेस के बैनरतले मैदान में चाहिए। मुस्लिम नेताओं का कहना है कि राज्य में हमारी जनसंख्या के घनत्व को देखते हुए प्रदेश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक निर्वाचन क्षेत्र को पार्टी मुस्लिम प्रत्याशी के लिए आरक्षित करे। राज्य विधानसभा की कुल 224 सीटों में 60 पर मुस्लिम मतदाताओं का गहरा प्रभाव है| कांग्रेस को जीत की गारंटी हम देते हैं।
इस संबंध में जहां लगातार मुस्लिम नेताओं द्वारा राज्य में कांग्रेस की ओर से पुन: मुख्यमंत्री पद के घोषित नाम एवं वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं पर दवाब जारी रखा है तो एक मुस्लिम दल इस मामले को लेकर नई दिल्ली में इन दिनों डेरा जमाए है| उसकी एक बैठक केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्यों के साथ हुई है। पूर्व सांसद रहमान खान की अगुवाई वाली इस बैठक को लेकर बताया जाता है कि उन्होंने बहुत साफ शब्दों में कहा है कि कर्नाटक की आबादी का 12.5% हिस्सा मुसलमानों का है और वे कर्नाटक के सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में निवासरत हैं| हर जगह सामाजिक-राजनीतिक तौर पर भी हमारी आज मजबूत स्थिति है| इसे देखते हुए कांग्रेस राज्य में कम से कम प्रत्येक जिले में एक विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी किसी मुस्लिम को बनाए।
उधर, मीडिया के बीच खान ने कहा है कि हम उन्हीं विस सीटों से मुस्लिम प्रत्याशी चाहते हैं जहां हमारी जनसंख्या पर्याप्त है| जहां से हमारे लोग जीतने की स्थिति में हैं। उन्होंने कहा है कि कर्नाटक प्रदेश के आंकड़े यही है कि कांग्रेस राज्य में 30 सीटें आसानी से मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा कर जीत सकती है| हमने इसीलिए प्रत्येक जिले से कम से कम एक उम्मीदवार मुस्लिम बनाने की मांग कांग्रेस चुनाव समिति से की है।
उल्लेखनीय है कि 2013 में 19 मुस्लिम उम्मीदवारों को अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस ने टिकट दिया था जिसमें से 10 जीते भी थे । यह एक तथ्य है कि देश में केरल के बाद कर्नाटक दूसरा सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला राज्य है| कर्नाटक के रायचुर, वीजापुर, कलबुर्गी और धारवाड़ जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका में हैं। इन इलाकों में 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। इसी प्रकार से कर्नाटक के शहरी क्षेत्रों में मुस्लिम ज्यादा संख्या में हैं। आंकड़ों के अनुसार शहरों में करीब 21 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 8 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है।
मुस्लिम जनसंख्या के इस प्रतिशत को यदि विविध राजनीतिक पार्टियों को कुल प्राप्त मतों के साथ जीत-हार के अंतर से तुलना कर देखें तो पिछले 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 122 सीटें मिली थीं| इसके बाद वोट प्रतिशत के हिसाब से जनता दल (सेक्यूलर) को 40, बीजेपी को 40, केजेपी को 6, निर्दलीय 9 और अन्य राजनीतिक पार्टियों को 7 सीटें प्राप्त हुई थीं। इस पर भी वोट प्रतिशत में कांग्रेस कर्नाटक में 36.6% कुल राज्य में मत प्राप्त करके सरकार बनाने में सफल रही थी। यहां जद (एस) को 20.2%, भाजपा को 19.9%, केजेपी को 9.8%, निर्दलीय प्रत्याशियों को कुल 7.4% तथा अन्य पार्टी प्रत्याशियों को 6.1% वोट प्राप्त हुए थे।
दूसरी ओर राज्य में पहले से ही कांग्रेस के समर्थन में मुस्लिमों को लामबंद होने के लिए कह दिया गया था। पहले ही मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने एक विशाल बैठक की थी और यह बैठकों का दौर अब भी चल रहा है जिसमें कि मुसलमानों से ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, जनता दल (सेक्यूलर) और एसडीपीआई जैसे दलों को वोट न करने की अपील करते हुए यही कहा जा रहा है कि वह भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के साथ एकजुट रहें। इसी के साथ यह भी इस राज्य से जुड़ा सच है कि कई मुस्लिम नेता मुस्लिम उम्मीदवारों के वोटों को विभाजन से बचाने के लिए कोई एक मुस्लिम उम्मीदवार को थोक वोट देने की अपील कर रहे हैं| इसी के साथ इस समय महिला सशक्तीकरण पार्टी (एमईपी) भी सभी विधानसभाओं में अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है जो कि भाजपा के लिए फायदे का सौदा साबित होना बताया जा रहा है।