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सुप्रीम कोर्ट में ‘कर्ज में फंसी कम्पनियों पर सख्ती’ वाला सर्कुरल रद्द, मिलेगी कुछ राहत

court supremecourt सुप्रीम कोर्ट में 'कर्ज में फंसी कम्पनियों पर सख्ती' वाला सर्कुरल रद्द, मिलेगी कुछ राहत

एजेंसी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने डिफॉल्टर कंपनियों पर सख्ती करने वाले आरबीआई के 12 फरवरी के सर्कुलर को रद्द कर दिया है। इससे कर्ज न चुकाने के कारण दिवालिया होने की ओर बढ़ रही बिजली क्षेत्र की कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। इस सर्कुलर में कर्ज लौटाने में एक दिन की भी चूक पर कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का प्रावधान था। आरबीआई ने 12 फरवरी को 2018 को दबाव वाली संपत्ति के समाधान के लिये परिपत्र जारी किया था। इसके तहत बैंकों को कर्ज लौटाने में एक दिन की भी चूक की स्थिति में उसे दबाव वाली संपत्ति में वगीकृत करना था।
बैंक अगर 180 दिन के भीतर कर्ज लौटाने में चूक की समस्या का समाधान करने में असमर्थ रहते हैं, तो उन्हें 2,000 करोड़ रुपये या उससे ऊपर के सभी खातों को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास अनिवार्य रूप से भेजना था। बैंकों को 180 दिन की समयसीमा समाप्त होने के 15 दिन के भीतर दिवालिया प्रक्रिया शुरू करनी थी। इसके खिलाफ कई कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद अदालत ने 11 सितंबर 2018 को इस परिपत्र पर रोक लगा दी थी।
रिजर्व बैंक के इस परिपत्र से सर्वाधिक प्रभावित बिजली कंपनियां हुई थी। इसके अलावा इस्पात, परिधान, चीनी तथा पोत परिवहन क्षेत्र की कंपनियों पर भी असर पड़ा था। अपने 84 पृष्ठ के आदेश में न्यायालय ने कहा कि बैंकों को दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) का रास्ता अपनाने का निर्देश बैंकिंग नियमन कानून की धारा 35एए की शक्तियों से परे है। इसमें कहा गया है कि आईबीसी का संदर्भ मामला-दर-मामला आधार पर लिया जा सकता है और इस संदर्भ में कोई सामान्य निर्देश नहीं हो सकता।

जीएमआर एनर्जी लि., रतन इंडिया पावर लि., एसोसिएशन आफ पावर प्रोड्यूसर्स, स्वतंत्र बिजली उत्पादों का संगठन आईपीपीए, शुगर मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन फ्राम तमिलनाडु तथा गुजरात के जहाज बनानले वाली कंपनियों के संगठन ने परिपत्र के खिलाफ विभिन्न अदालतों में याचिकाएं दायर की थी। बिजली क्षेत्र की दलील थी कि 5.65 लाख करोड़ रुपये का कर्ज (मार्च 2018 की स्थिति अनुसार) उन कारकों के कारण है जो उनके नियंत्रण से बाहर है। जैसे ईंधन की उपलब्धता और कोयला ब्लाक का आबंटन रद्द होना।

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