संवाददाता, सुलतानपुर। सुलतानपुर की राजनीति इस बार लोकसभा के लिहाज से किस करवट बैठेगी इस पर कोई टिप्पणी तो नहीं की जा सकती लेकिन ब्लॉक करौंदीकला में भाजपा की राजनीति को धराशाई करने वाले नेताओं में खुशी की लहर है। मामला है वर्तमान ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने का। आपसी कलह हो या फिर जनता के कार्यों की अनदेखी दोनों में ही यहां भाजपा अव्वल है।
करौंदीकलां ब्लाक प्रमुख शिवनरायण वर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से जहां एक ओर सियासत में गर्मी आई है तो वहीं भाजपा खेमे में मायूसी और हताशा स्पष्ट देखी जा सकती है। बता दें कि पिछले छ: महीने से करौंदीकला ब्लाक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की चर्चा जोरों पर थी और जिला पंचायत सदस्यों में तनातनी चल रही थी। भारत खबर संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार वार्ड नम्बर छह के जिला पंचायत सदस्य राजेश उपाध्याय उर्फ गुड्डू एवं शिव प्रसाद यादव की अगुवाई में सदस्यों ने एकजुटता दिखाते हुए अविश्वास प्रस्ताव पारित करवा दिया।
शिवनरायण वर्मा हुए फेल, बिगड़ गया भाजपा का खेल
हालाकि लोकसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा के प्रति इस अविश्वास प्रस्ताव से क्षेत्र की जनता में नकारात्मक संदेश जाएगा और इस बार भाजपा को कड़ी मसक्कतों के बीच होकर गुजरना पड़ सकता है। पिछले पांच वर्षों में कादीपुर विधायक की अनदेखी और अब यह परिवर्तन जनता को बताने के लिए काफी है कि अब भाजपा की ‘बांसुरी’ पर रीझने वाले ‘ग्वाल’ समझदार हो गए हैं।
कांग्रेसी मां-बेटे का तोड़ भाजपा ने निकाल ही लिया
जनता में चर्चा इस बात का भी है कि सुलतानपुर से लोकसभा उम्मीदवार हार जाने के डर इस बार मैदान छोड़ गया। वरुण गांधी का क्षेत्र में पांच वर्षों से नदारद रहना उनके हार जाने की गुंजाइश को न्योता दे रहा था इसी बीच भाजपा ने उनकी मां को सुलतानपुर से प्रत्याशी बना दिया और वरुण को पीलीभीत से टिकट दे दिया। चर्चा है कि भाजपा ने कांग्रेस के मां सोनिया और बेटे राहुल का तोड़ निकाल लिया है, भाजपा में अब यह काम वरुण-मेनिका गांधी निभाएंगी।
राजनीति मेँ उतार-चढ़ाव आते रहते हैं जो लोग महज अविश्वास प्रस्ताव आने पर ही इतना खुश होकर नाच रहे हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि मैं चुनाव जीतने पर भी एकदम सामान्य बना रहा क्योंकि मै लोगो से सम्बन्ध बनाने और साफ सुथरी राजनीति यहां करने आया था। मैं एक सफल बिजनेसमैन हूं मेरा यहां राजनीति में आने का मकसद बिजनेस करना नहीं था और ना ही मैंने प्रमुख पद को बिजनेस के तरीके किया अन्यथा मुझे हराना मुश्किल होता। मेरी कमी यह हो सकती है कि मैं राजनीति के घुटन भरे दांव पेच नही जानता। लेकिन मुझे जितने बीडीसी सदस्यों ने व क्षेत्र की जनता ने साथ दिया मै उसका हमेशा एहसान मन्द रहूँगा।
– शिवनरायण वर्मा, पूर्व ब्लॉक प्रमुख- करौंदी कला
अब उम्मीदवार होगा मेरा भतीजा: शिवनरायण
अपनी इस हार के बाद शिवनरायण ने कहा कि भविष्य की रणनीति मैं अपने 18 से 20 बीडीसी सदस्यों के साथ बैठकर बनाऊंगा। बिजनेस में व्यस्तता के कारण भी मैं यहां समय कम दे पाता था। अब चुनाव की तारीख आने पर ब्लाक प्रमुख के पद पर मेरा भतीजा उम्मीदवार होगा या जिसे भाजपा प्रत्याशी अपना उम्मीदवार बनाएगी मैं उसके पक्ष में वोट करूंगा।
परिक्षा में इस तरह से फेल हो गए वर्मा
पिछले छ: महीनों से चल रही सुगबुगाहट ने 29 बीडीसी सदस्यों के साथ पूरे माहौल को पलट दिया और कुल 48 में से 29 सदस्यों ने भाजपा के नेतृत्व में दम होने से इंकार कर दिया इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया है अब राजेश उपाध्याय का नेतृत्व पहले से शक्तिशाली और मजबूत हो गया है। वर्मा को बसपा छोड़कर भाजपा में जाना रास नहीं आ रहा है और लगातार उनका ग्राफ गिरता जा रहा है।