नई दिल्ली। चुनाव आयोग की सिफारिश पर आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा अयोग्य करार देने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर अपने चरम पर है। एक तरफ जहां आप नेता इसको केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी का षड्यंत्र करार दे रहे है, वहीं दूसरी तरफ आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने अपने ब्लाग पर इसका दोषी आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को बताया है। दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर विधायकों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘अघिकतर विधायकों को इस बात का अंदाज़ा ही नहीं था कि उनकी सदस्यता सच में चली जाएगी।

बता दें कि जब ये पद इन विधायकों को दिए गए तब कानूनी विशेषज्ञों की राय यही थी कि ये असंवैधानिक हैं, अगर चुनाव आयोग में शिकायत हुई तो सदस्यता रद्द हो जाएगी, इसके बावजूद ये पद दिए। मिश्रा ने फैसले के पक्ष में दलील देते हुए कहा, ‘केस के संबंध में सभी विधायकों से लगातार झूठ बोला गया, वकीलों की एक टीम बनाई गई, जिसने हर विधायक का पक्ष चुनाव आयोग में रखा लेकिन इस टीम ने विधायकों को केस की प्रगति के बारे में जानकारी कभी नहीं दी, इस मामले में 11 बार अलग से नोटिस दिए गए लेकिन विधायकों से केजरीवाल ने कहा कि ये चुनाव आयोग का अधिकार ही नहीं है।
वहीं दूसरी तरफ आप प्रवक्ता आशुतोष ने राष्ट्रपति से चुनाव आयोग की सिफारिशें लौटाने की मांग की है। आशुतोष ने ट्वीट कर कहा, ‘उम्मीद करते हैं कि महामहिम को यह ज्ञात होगा कि पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन ने संविधान के संरक्षक के तौर पर अहम भूमिका निभाते हुए केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिशों को एक बार नहीं दो बार लौटाया था। उन्होंने एक ‘रबर की मुहर’ की तरह नहीं बल्कि अपने अधिकारों का पूरा इस्तेमाल करने वाले एक महान राष्ट्रपति की तरह काम किया था।