- त्रिनाथ मिश्र, भारत खबर
मेरठ। “उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया, मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है अगला नम्बर आपका है” यह शेर नवाज देवबंदी का है जो आज के समय में प्रासंगिक होती अक्षरश: नजर आ रही है। कमलेश तिवारी की दिन दहाड़े हत्या के बाद पूरे देश में माहौल गर्माया हुआ है… जहां एक ओर हिन्दूवादी नेता की हत्या पर लोगों में गुस्सा है तो दूसरी ओर मोहम्मद पैगम्बर पर तीखी टिप्पणी करने वाले हिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष की हत्या पर सोशल मीडिया में हर्ष का माहौल भी है।
अगर दोनों पक्षों की तुलना करें तो एक भ्रम की परत दिखाई देती है… जो लोग कल खुश थे वो आज मातम मना रहे हैं, जो आज खुश हैं वो उनका कल भविष्य के गर्भ में है? कब तक नफरत के बीज बोकर हम अपने धर्मों को उपजाऊं बनाने का निरर्थक प्रयास करते रहेंगे… कब तक एक दूसरे की हत्या करते रहेंगे… कब अनाथ होती रहेंगी महिलाये और बच्चे।
आज कमलेश की हत्या… कल किसी रहिमान की हत्या परसों किसी राम की हत्या….. ये सिलसिला क्या यूं ही चलता रहेगा? खैर ये सवाल आप पर ही छोड़ते हैं।
कौन हैं कमलेश तिवारी?
हिंदू महासभा से जुड़े कमलेश तिवारी हिन्दूवादी नेता के रूप में देश में प्रसिद्ध पा रहे थे। इसी दौरान साल 2015 में उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ विवादित बयान दिया था। इसे लेकर काफी हंगामा भी हुआ था और कमलेश तिवारी को गिरफ्तार भी किया गया था। मुस्लिम समाज के लोगों ने कमलेश तिवारी को फांसी देने की मांग तक कर डाली थी। इसी बीच उन्हें हिन्दू महासभा से बर्खास्त कर दिया गया इसके बाद कमलेश ने हिंदू समाज पार्टी का गठन किया। उनपर रासुका के तहत कार्रवाई हुई थी और अभी वह जमानत पर बाहर चल रहे थे।
उनकी हत्या के पीछे कई प्रकार के ऐंगल पर पुलिस कार्य कर रही है… बिजनौर से दो मौलानाओं को हिरासत में लिया गया है जिन्होंने कमलेश का सर कलम करने वालों को डेढ करोड़ नगद ईनाम देने की घोषणा की थी… इसी बीच सोशल मीडिया पर तेजी से एक मैसेज प्रसारित होने लगा… जिसमें अल हिन्द नाम के संगठन ने कमलेश की हत्या की जिम्मेदारी ली है।
इससे पहले बीती शनिवार सुबह इस मामले में गुजरात के सूरत में पुलिस ने छह लोगों को हिरासत में लिया, हिरासत में लिए गए लोगों में इस हत्याकांड में एक की भूमिका संदिग्ध होने की बात कही जा रही है, गुजरात एटीएस यूपी पुलिस और एसआईटी से लगातार संपर्क में है।
एक वर्ष पूर्व मेरठ आये थे कमलेश
आज से एक वर्ष पूर्व कमलेश तिवारी मेरठ अपनी पार्टी का विस्तार करने आये थे… तब उन्होंने अपना मंसूबा हम से साझा किया था…. वो हमेशा से कट्टरपंथी मिजाज के थे। उनकी इसी छबि के कारण मेरठ प्रशासन ने उनको सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता करने से साफ मना कर दिया था… इसके बावजूद वो सर्किट हाउस पहुंचे और अपनी बात रखी….
कमलेश की मौत पर आज तमाम लोग खुश हो रहे हैं… लेकिन याद रखें ये खुशी अस्थाई है… कल आपके चेहरे से हटकर किसी और के चेहरे पर होगी और आप बेबश व लाचार खड़े होंगे… जिस हालात में आज कमलेश के परिजन हैं।
तेज तर्रार होना अच्छी बात है लेकिन सार्थक और उपजाऊ बनाने वाले विचारों को तवज्जो देने की जरूरत है… भड़काऊं भाषणों से, एक तरफा बात करने और दूसरों को गालियां अपशब्दों के कारण आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ और सिर्फ मातम के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा।