नई दिल्ली। अगर आप भी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाना चाहते हैं तो आप जा सकते हैं क्योकि कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरूआत 8 जून से शुरू हो रही है। जहां सैकड़ों लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए निकलते हैं। बता दे कि कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया का सबसे ऊंचा शिवधाम है जिसको लेकर कई धारणाएं प्रचलित है।
पुराणों के अनुसार शिवजी का स्थायी निवास होने के कारण इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। हर साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने हज़ारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहां इकट्ठे होते हैं। यह जगह काफी रहस्यमयी बताई गई है।
कैसी होती है आवाज
गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर की बर्फ पिघलती है तो एक प्रकार की आवाज आपको लगातार सुनाई देती है।
श्रद्धालुओं का मानना है कि यह आवाज मृदंग की होती है।
मान्यता यह भी है कि कोई व्यक्ति मानसरोवर में एक बार डुबकी लगा ले, तो वह ‘रुद्रलोक’ पहुंच सकता है।
शक्तिपीठों के करते हैं दर्शन
देवी सती का दांया हाथ इसी स्थान पर गिरा था, माना जाता है जिससे यह झील तैयार हुई।
यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है।
ॐ की आवाज
मानसरोवर झील और राक्षस झील, ये दोनों झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करते हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक उर्जा से है।
जब आप इन्हें दक्षिण की तरफ से देखेंगे तो एक स्वस्तिक चिन्ह बना हुआ दिखेगा।
इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ जैसा सुनाई देता है।
मानसरोवर की खास बातें
मानसरोवर में बहुत सी खास बातें आपके आसपास होती रहती हैं, जिन्हें आप केवल महसूस कर सकते हैं।
झील लगभग 320 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है।
इस झील के आसपास सुबह के 2:30 से 3:45 बजे के बीच यहां आप जोर-शोर से आपके आस-पास नई क्रिया होते सुनेंगे। जो केवल आप महसूस कर सकते हैं।
गंगा और ब्रह्मपुत्र
इस सरोवर का जल आंतरिक स्रोतों के माध्यम से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी में जाता है।
पुराणों के अनुसार शंकर भगवान द्वारा प्रकट किए गए जल के वेग से जो झील बनी, उसी का नाम मानसरोवर हुआ था।
‘क्षीर सागर’
मानसरोवर पहाड़ों से आते हुए यहां पर एक झील है, पुराणों में इस झील का जिक्र ‘क्षीर सागर’ से किया गया है।
क्षीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी इसी में शेष शैय्या पर विराजते हैं।
बाबा भोले की यात्रा कैलाश मानसरोवर इस बार 8 जून से शुरू हो रही है, जो 8 सितम्बर तक चलेगी। पहला दल 12 जून को उत्तराखण्ड में प्रवेश करेगा।
पहले दिन बाबा भोले के भक्त दिल्ली से हल्द्वानी होते हुए अल्मोडा पहुंचेंगे।
दूसरे दिन यात्रा सड़क मार्ग से धारचूला प्रवेश करेगी।
18 दलों में होने वाली यात्रा धारचूला के बाद पैदल मांगती, नजंग होते हुए बुंदी में रात्री विश्राम करेगी, तो छियालेख,गर्ब्यांग होते हुए गुंजी में यात्रा दो दिन रुकेगी।