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कई ऐतिहासिक फैसले लेने वाले न्यायाधीश टीएस ठाकुर होंगे रिटायर

t.s thakur 2 कई ऐतिहासिक फैसले लेने वाले न्यायाधीश टीएस ठाकुर होंगे रिटायर

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं। मंगलवार से उनकी जगह जस्टिस जेएस खेहर भारत के नए चीफ जस्टिम बनेंगे। एक साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक लिए हैं। फैसले सुनाने के साथ-साथ ठाकुर कई बार केंद्र सरकार को भी आड़े हाथ ले चुके हैं।

t.s thakur कई ऐतिहासिक फैसले लेने वाले न्यायाधीश टीएस ठाकुर होंगे रिटायर

ठाकुर ने सुनाए कई ऐतिहासिक फैसले

जस्टिस ठाकुर ने अपने कार्यकाल के दौरान जिन महत्वपूर्ण फैसले किए उनमें बीसीसीआई, जजों की नियुक्ति, दिल्ली में प्रदूषण समेत दूसरे मामले भी रहे हैं। सीसीआई में सुधारों के लिए जस्टिस लोढ़ा कमेटी को उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने गठित किया और कमेटी की अनुशंसाओं को लागू करने की मंजूरी दी। जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच 7  सदस्यीय बेंच ने बहुमत से फैसला दिया कि चुनाव में धर्म, जाति और भाषा को लेकर कोई अपील नहीं की जा सकती।

एक साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए ही साथ ही रिटायर होने से एक दिन पहले एक और फैसला सुनाकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा लिया। दरअसल लोढ़ा सीमित के मसले पर सोमवार को ठाकुर ने बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया।

उनके नेतृत्व वाली बेंच ने ही दिल्ली में पॉल्यूशन कोड को मंजूरी दी । बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि वह पॉल्यूशन ग्रेडिंग सिस्टम को लागू करे ताकि दिल्ली और एनसीआर में पॉल्यूशन लेवल को ठीक किया जा सके। जजों की नियुक्ति के मामले में चीफ जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार के खिलाफ कई बार सुनवाइयों के दौरान कड़ी टिप्पणियां भी कीं। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि इसे सरकार अहं का मुद्दा न बनाए। उन्होंने सरकार पर न्यायपालिका को ठप करने का आरोप भी लगाया था। उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाया था।

पिता को भी नहीं बख्शा

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्होंने पीएम मोदी को उनके भाषण के संदर्भ में सवाल के कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने मोदी को सवाल के घेरे में लेते हुए कहा था कि जब वो अपने पिता को नहीं बख्शते तो मोदी को क्यों बख्शेंगे। बता दें कि न्यायाधीश ठाकुर ने एक बार अपने पिता की सरकार की बर्खास्तगी की भी मांग कर दी थी, जिसके बाद पूरे देश सोचने के लिए मजूबर हो गए थे।

 

 

 

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कौन है टीएस ठाकुर

4 जनवरी 1952 को जन्मे जस्टिस ठाकुर ने एलएलबी के बाद 1972 में वकालत शुरू की। उनके पिता और प्रसिद्ध वकील डीडी ठाकुर जम्मू कश्मीर में वरिष्ठ वकील थे। उन्हीं के चैंबर से जस्टिस टीएस ठाकुर ने अपनी वकालत शुरू की। जस्टिस ठाकुर ने सिविल, क्रिमिनल, संविधान, टैक्स और सर्विस मैटर में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की। 1990 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला।

फिर वह जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में नियुक्त हुए। 1994 में उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट का जज बनाया गया । बाद में उन्हें 1995 के सितंबर में परमानेंट जज के रूप में नियुक्त किया गया। जुलाई 2004 में उनका तबादला दिल्ली हाईकोर्ट में जज के रूप में किया गया । जस्टिस ठाकुर को 9 अप्रैल 2008 को दिल्ली हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस बनाया गया। फिर 11 अगस्त 2008 को उन्हें पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। इसके एक साल बाद 17 नवम्बर 2009 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ दिलाई गई और फिर 3 दिसम्बर 2015 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया।

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