नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राजिंदर सिंह सच्चर का 94 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। उनके करिश्मे की बात करे तो भारत में मुसलमानों की स्थिति को लेकर आई सच्चर कमिटी की रिपोर्ट उन्ही के नाम से प्रेरित थी। सच्चर काफी समय से बीमार चल रहे थे और हाल ही में उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। बता दें कि उनका जन्म 22 दिसंबर 1923 को हुआ था और उन्होंने मानवाधिकार को लेकर काफी काम किया था।
जस्टिस सच्चर के जीवन की बात करे तो उन्होंने साल 1952 में वकालत की शुरुआत की थी। आठ दिसंबर 1960 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। 12 फरवरी 1970 को दो साल के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने थे। उन्हें 5 जुलाई 1972 को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा जस्टिस सच्चर सिक्किम, राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस रह चुके हैं।
जस्टिस सच्चर को सच्चर कमिटी रिपोर्ट के लिए हमेशा याद किया जाएगा। दरअसल भारत सरकार ने 9 मार्च, 2005 को देश के मुसलमानों के तथाकथित सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की थी। इस कमेटी को मुसलमानों की आर्थिक गतिविधियों के भौगोलिक स्वरूप, उनकी संपत्ति एवं आय का ज़रिया, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर, बैंकों से मिलने वाली आर्थिक सहायता और सरकार द्वारा प्रदत्त अन्य सुविधाओं की जांच-पड़ताल के लिए कहा गया था।
आपको बता दें कि इस कमेटी को सच्चर कमेटी के नाम से जाना गया था। देश में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक दशा जानने के लिए यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में दिल्ली हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। 403 पेज की रिपोर्ट को 30 नवंबर, 2006 को लोकसभा में पेश किया गया था। तब पहली बार ये मालूम हुआ कि भारतीय मुसलमानों की स्थिति अनुसूचित जाति-जनजाति से भी खराब है।